"नूरानी आमद से रौशन हुआ तहज़ीब का शहर लखनऊ: रहबर-ए-इंक़लाब के भारत में नुमाइंदे आयतुल्लाह हकीम इलाही का तंज़ीमुल मकातिब में ऐतिहासिक दौरा"


"जब लखनऊ की रूहानी फ़िज़ा में गूंजा इल्म का तराना: तंज़ीमुल मकातिब में आयतुल्लाह हकीम इलाही की आमद बनी रहमत का पैग़ाम"


निदा टीवी डेस्क/सैयद तकी मुस्तफा 

जुमेरात की सुबह लखनऊ की सरज़मीन कुछ अलग ही नूर में नहाई हुई थी। अदब, तहज़ीब और इल्म का शहर — आज फिर एक बार रूहानी रौनक से जगमगा उठा जब रहबर-ए-मोअज्जम आयतुल्लाह अली खामेनेई के भारत में नवनियुक्त नुमाइंदे आयतुल्लाह अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने तशरीफ़ लाकर तंज़ीमुल मकातिब, गोलागंज का दौरा फ़रमाया।

लखनऊ की सरज़मीन ने जब पहली बार इस आलमी शख़्सियत के कदमों का इस्तक़बाल किया, तो जैसे फ़िज़ा ने खुद रूहानी नग़मे गुनगुनाने शुरू कर दिए।

तंज़ीमुल मकातिब — वो इदारा जो मरहूम ख़तीब-ए-आज़म मौलाना गुलाम अस्करी साहब के हसीन ख्वाबों और बेजोड़ मेहनत की तामीर है — आज जब हकीम इलाही की निगाह-ए-इनायत से नवाज़ा गया, तो लगता था जैसे खतीब-ए-आज़म की रूह आसमानी मंज़िलों से ये मंजर देखकर सजदा-ए-शुक्र अदा कर रही हो।

आयतुल्लाह हकीम इलाही ने सेक्रेटरी मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी से मुलाक़ात की और मक्तबात के नेटवर्क, तालीमी दर्जे और अंजुमनों की सरगर्मियों का जायज़ा लिया। जो कुछ उन्होंने देखा, उसे देख कर वो इस कदर मुतास्सिर हुए कि बरमलाः फ़रमाया:

"अगर कोई मुझसे कहता कि हिंदुस्तान में कोई संस्था इतनी वसीअ और पुरअसर खिदमत कर रही है, तो मैं यक़ीन न करता। मगर आज जब अपनी आंखों से तंज़ीमुल मकातिब को देखा, तो मैं पूरे यक़ीन के साथ कह सकता हूं — यह इदारा इल्म और दीनी तहज़ीब का अस्ल नमूना है।"

उन्होंने तंज़ीमुल मकातिब को "उम्मीद का मीनार", "हिंदुस्तान का रौशन चिराग़" और "इमामे ज़माना (अज) के मिशन का सच्चा सिपाही" क़रार दिया।

आपको यह जानकर भी फ़ख़्र महसूस होगा कि तंज़ीमुल मकातिब से तालीम पाए हज़ारों अफ़राद आज पूरी दुनिया में — इराक़, ईरान, अफ़्रीका, यूरोप और अमरीका तक इल्म, अख़लाक़ और अमल का उजाला फैला रहे हैं। ये महज़ एक इदारा नहीं, बल्कि उस मशाल का नाम है जो घर-घर इल्म की रोशनी पहुँचा रहा है।

इस मुबारक मौके पर आयतुल्लाह नकी नकवी नक्कन साहब मरहूम के नवासे हुज्जतुल इस्लाम तकी नकवी , और मौलाना कमर हसनैन साहब भी मौजूद थे, जिनकी हमनशीनी ने इस रूहानी जलसे को और भी पुरनूर बना दिया।

तंज़ीमुल मकातिब का ये ऐतिहासिक लम्हा, न सिर्फ़ उसके अतीत की तसदीक़ है, बल्कि उसके रौशन मुस्तक़बिल की भी गवाही है। लखनऊ की तहज़ीब और तंज़ीमुल मकातिब की ख़िदमात — दोनों ने मिलकर आज फिर बता दिया कि जब इल्म, ईमान और अख़लाक़ का संगम होता है, तो ज़मीन पर खुदा की रहमत उतर आई हो।

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