“जब भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफताबे शरीअत मौलाना डॉ कल्बे जवाद नकवी पहुंचे रहबर-ए-हिंद मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी की अयादत को — बिस्तर पर भी जारी रहा जहूर-ए-इमाम (अ.फ.) की तैयारी का मिशन, दुआ के लिए क़ौम से अपील।”


रिपोर्ट: हसनैन मुस्तफ़ा,

लखनऊ, भारत में इल्म, दीन और इंसानियत की मशाल जलाने वाले, तंजीमुल मकातिब के सेक्रेट्री और रहबर-ए-हिंद हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी साहब क़िब्ला इन दिनों अलील हैं।
वे अपने जहरा कॉलोनी स्थित आवास पर बिस्तर पर आराम फरमा रहे हैं, और डॉक्टरों ने उन्हें न्यूरो सर्जरी की सलाह दी है।

मौलाना साहब को कुछ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तंजीमी दौरे के दौरान न्यूरोलॉजिकल तकलीफ़ के चलते पैरों में शदीद दर्द महसूस हुआ था , जिसके बाद उन्हें प्रोग्राम बीच में ही छोड़कर वापस लौटना पड़ा।
इसके बावजूद वे अपने मिशन-ए-इल्म और तंजीमुल मकातिब के सभी कार्यों की निगरानी बिस्तर से ही जारी रखे हुए हैं।

🌙 आफताब-ए-शरीअत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब की अयादत

आज भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी, आफताब-ए-शरीअत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी साहब की अयादत के लिए उनके जहरा कॉलोनी स्थित आवास पर पहुँचे।
उन्होंने मुलाक़ात कर मौलाना साहब की तबियत का हाल जाना, उनकी सेहत में बेहतरी की दुआ की और उनकी दीनी खिदमतों की तारीफ की।

दोनों आलिमे-दीन के इस मिलन ने यह पैग़ाम दिया कि रूहानियत की दुनिया में मोहब्बत, हमदर्दी और इल्मी रिश्ता कभी कमज़ोर नहीं पड़ता।
मौलाना कल्बे जवाद साहब ने कहा —

“मौलाना सफ़ी हैदर जैदी साहब ने हमेशा दीन की हिफ़ाज़त, इल्म की तालीम और समाज की बेहतरी के लिए जो मेहनत की है, वह आने वाली नस्लों के लिए मिसाल है। अल्लाह उन्हें शिफ़ा-ए-कामिला अता करे।”

🌿 एक यादगार रिश्ता — जब मौलाना सैयद सफ़ी हैदर ने किया था आफताब ए शरीयत कल्बे जवाद पर हमले की निंदा

गौरतलब है कि कुछ समय पहले आफताब-ए-शरीअत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब पर अब्बास बाग, लखनऊ में हुए हमले की घटना पर
सबसे पहले मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी साहब ने न सिर्फ़ एहतेजाजी प्रेस नोट जारी किया, बल्कि कई टीवी चैनलों और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस कायराना हरकत की सख्त निंदा भी की थी।
उस वक्त उनका बयान था —

“जो लोग इल्म और दीन के खिलाफ हाथ उठाते हैं, वे इस्लाम की बुनियाद पर हमला करते हैं। आफताब-ए-शरीअत पर हमला दरअसल रूहानियत की रौशनी बुझाने की कोशिश है।”

आज वही आफताब-ए-शरीअत, अपने मुहिब्ब और साथी रूहानी रहनुमा की अयादत को पहुँचे — यह मंज़र लखनऊ की दीनी सरज़मीन के लिए एक जज़्बाती और ऐतिहासिक लम्हा बन गया।

🩺 इलाज जारी, डॉक्टरों ने दी सर्जरी की एडवाइस

मौलाना साहब के इलाज की देखरेख देश के मशहूर न्यूरो-फिजिशियन डॉ. असद अब्बास और अंतरराष्ट्रीय न्यूरो सर्जन डॉ. मजहर हुसैन (मैक्स हॉस्पिटल) कर रहे हैं।
उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, मौलाना साहब की तकलीफ़ न्यूरो-रिलेटेड है और सर्जिकल इंटरवेंशन की सलाह दी गई है।
डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण विश्राम की हिदायत दी है, लेकिन मौलाना साहब अब भी अपने मकातिब के मामलों में मार्गदर्शन दे रहे हैं।

📚 तंजीमुल मकातिब — इल्म और इंतज़ार का मिशन

मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी साहब की रहनुमाई में तंजीमुल मकातिब आज भारत का सबसे बड़ा दीनी तालीमी नेटवर्क है —
जहाँ 1200 से ज़्यादा मकातिबों में बच्चे कुरआनी तालीम, अख़लाक़ और इंसानियत की सच्चाई सीख रहे हैं।
उनका मकसद सिर्फ़ तालीम देना नहीं, बल्कि उम्मत को इमाम-ए-ज़माना (अ.फ.) के जहूर के लिए तैयार करना है।

मौलाना साहब कहते हैं —

“अगर हमें जहूर-ए-इमाम (अ.फ.) का इस्तक़बाल करना है, तो हमें इल्म, इंसाफ़ और तक़वा में सबसे आगे होना होगा।”

उनकी तहरीक दरअसल उस रूहानी इंतेज़ार की अमली तस्वीर है, जो भारत को दीनी नज़रिए से तैयार कर रही है।

🌿 बीमारी में भी जारी है जिम्मेदारी

मौलाना साहब अपनी तबियत की नाज़ुकी के बावजूद बिस्तर से ही मकातिब के कामकाज को देखते हैं,
शिक्षकों से बात करते हैं, और नए प्रोजेक्ट्स की निगरानी करते हैं।
उनकी यह आदत अब एक मिसाल बन चुकी है — कि रूहानी रहनुमा कभी आराम नहीं करते, वे हर सांस को खिदमत में बदल देते हैं।

🕊️ क़ौम की ग़फलत और रूहानी सबक़

मौलाना साहब की बीमारी ने एक गहरा सवाल भी खड़ा किया है 
क्या क़ौम अपने रहनुमाओं की खिदमत और उनके मिशन के प्रति उतनी ही वफ़ादार है, जितनी उम्मीद उनसे की जाती है?
कई उलेमा और शियाखानेदारों ने इस बात पर अफ़सोस जताया है कि मौलाना साहब जैसे इल्मी और तंजीमी रहबर के लिए
क़ौम को अब पहले से ज़्यादा जागरूक और मुत्तहिद होना चाहिए।

एक वरिष्ठ उलेमा सैयद रज़ा हैदर जैदी ने कहा —

“मौलाना सफ़ी हैदर जैदी साहब की बीमारी क़ौम के लिए इम्तेहान है।
अब वक्त है कि हम उनके लिए दुआ कर उनको संभालें और उनके लिए दुआओं का सैलाब बन जाएँ।”

🤲 दुआओं की दरख्वास्त

मुल्कभर में मौमिनीन, तंजीमुल मकातिब के विद्यार्थी, उलेमा और दीनी संस्थान
मौलाना सैयद सफ़ी हैदर जैदी साहब की सेहत और लंबी उम्र के लिए दुआ कर रहे हैं।
हर मस्जिद और मजलिस में यही सदा गूँज रही है —

“ऐ अल्लाह! अपने नेक बंदे मौलाना सफ़ी हैदर जैदी साहब को शिफ़ा-ए-कामिला अता कर,
और उन्हें इमाम-ए-ज़माना (अ.फ.) के जहूर की तैयारी के इस मिशन में फिर से वह ताक़त बख़्श दे,
जिससे पूरी उम्मत को राह मिले।”


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