एक नई दहलीज़ पर वक्फ़ का भविष्य,अब मातमी अंजुमन संभालेंगी औक़ाफ़ की जिम्मेदारी — लखनऊ से शुरू हुई मुहिम, असर पूरे प्रदेश में दिखेगा

निदा टीवी डेस्क

लखनऊ।शिया औक़ाफ़ की पारदर्शिता और बेहतरी के लिए उठी मांग अब ठोस कदम बनकर सामने आई है। सेव वक्फ़ इंडिया की तजवीज़ और खदीजा फाउंडेशन के सेक्रेटरी अली आगा के मशविरे को गंभीरता से लेते हुए यूपी शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष अली ज़ैदी ने फेसबुक पर लखनऊ से इस मुहिम की औपचारिक शुरुआत का एलान कर दिया है। इस पहल के लागू होते ही असर न केवल लखनऊ बल्कि पूरे प्रदेश में नजर आने की उम्मीद है।

पूरे प्रदेश पर पड़ेगा असर — रजिस्टर्ड अंजुमन सामने आएँगी, वक्फ़ खोरों के होश उड़ेंगे

अली ज़ैदी के स्पष्ट शब्दों में — यह एक ऐसा मॉडेल है जो जहाँ औक़ाफ़ की रक्षा करेगा, वहीं नाजायज़ कव्ज़ों और दलाली-खोरियों पर भी ज़ोरदार चोट पहुँचेगी। जब जिम्मेदारी रजिस्टर्ड मातमी अंजुमनों के पास होगी, तो वे सार्वजनिक, कानूनी और सामाजिक दोनों तरह से जवाबदेह बनेंगी — जिससे फर्जी या सत्ता-संबंधी वक्फ़ खोरों का मनोबल टूटेगा।

लखनऊ से बनने वाली यह मिसाल दूसरे जिलों के लिए प्रेरणा बनेगी; रजिस्ट्रेशन और पारदर्शिता का दबाव बढ़ने से कई अंजुमनें खुलकर सामने आएँगी और औक़ाफ़ की जिम्मेदारियाँ संभालने को तैयार होंगी — यही इस मुहिम की सबसे बड़ी ताकत है।

ऐतिहासिक महत्त्व वाले मुद्दों का हल — आगरा, मजार शहीद ए सालिस और जोगीराम पूरा

इस फैसले से उन इलाकों में भी समस्या हल करने का मार्ग खुलेगा जहाँ कमेटियाँ न बन पाने की दिक्कतें रही हैं। खासकर —

  • आगरा (मज़ार-ए-शहीद ए सालिस) के मामलों में स्थानीय मिश्रित स्वारूप और विरोधाभासों को पारदर्शी, इकठ्ठा और आधिकारी नियमों के तहत सुलझाया जा सकेगा।
  • जोगीराम पूरा की कमेटी निर्माण संबंधी जटिलताओं को भी मातमी अंजुमनों की साझा ज़िम्मेदारी मिलने से कम किया जा सकता है — क्योंकि स्थानीय समुदाय के लोग स्वयं देखरेख और न्यायसंगत बंटवारे के पक्षधर होंगे।

इन जगहों पर जल्द ही कमेटियों के गठन की राह खुलने की संभावना बढ़ जाएगी और पुराने विवादों को शांति पूर्ण ढंग से सुलझाने का अवसर मिलेगा।

मुतवल्ली के एकछत्र राज का समापन — सामूहिक जिम्मेदारी की मजबूती

यह पहल इस लोक-हितकारी सिद्धांत पर आधारित है कि औक़ाफ़ की असली रक्षा तब ही हो सकती है जब निर्णय सामूहिक हों। मुतवल्ली के एक-छत्र राज का अंत होने से किसी भी व्यक्ति के द्वारा एकतरफा हुनर से कब्ज़ा या दुरुपयोग की गुंजाइश नहीं रहेगी। अंजुमन के भीतर पेश-नमाज़, वकील और पत्रकारों की निगरानी व पारदर्शिता इस व्यवस्था को और मज़बूत करेगी।

कॉल टू एक्शन — बोर्ड की आदेश मोहर और साझा आवेदन

चेयरमैन अली ज़ैदी और सजग समाजसेवी अली आगा दोनों ने कहा है कि लखनऊ से प्रारम्भ कर यह तजवीज़ जल्द लागू की जाए। बोर्ड ने स्पष्ट रूप से आह्वान किया है कि हर मातमी अंजुमन तय करे कि वह किस औक़ाफ़ की ज़िम्मेदारी लेती है और एक साझा आवेदन-पत्र बोर्ड को पेश करे ताकि कोई विवाद न रहे और आदेश पर शीघ्र मोहर लगाई जा सके।

 ताकि यह मुहिम सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित न रहे बल्कि जमीन पर अमल बनकर नज़र आए।

एक नई दहलीज़ पर वक्फ़ का भविष्य

यह कदम सिर्फ़ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि औक़ाफ़ की गवर्नेंस में एक नई तर्कसंगत और लोकतांत्रिक परिभाषा है। जब जिम्मेदारी समुदाय के दर्जेवार और रजिस्ट्रड संस्थानों के हाथ में होगी, तब औक़ाफ़ की हिफ़ाज़त, पारदर्शिता और सामाजिक भरोसा तीनों ही मज़बूत होंगे — और वक्फ़ खोरों के हुक्म चौपट होंगे।

लखनऊ से शुरू हुई यह मुहिम जल्द ही पूरे प्रदेश में उम्मीद और कार्रवाई की लहर बनकर उभरे — यही आस है।


हमारी वेबसाइट का उद्देश्य

समाज में सच्चाई और बदलाव लाना है, ताकि हर व्यक्ति अपने हक के साथ खड़ा हो सके। हम आपके सहयोग की अपील करते हैं, ताकि हम नाजायज ताकतों से दूर रहकर सही दिशा में काम कर सकें।

कैसे आप मदद कर सकते हैं:

आप हमारी वेबसाइट पर विज्ञापन देकर हमें और मजबूती दे सकते हैं। आपके समर्थन से हम अपने उद्देश्य को और प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेंगे।

हमारा बैंक अकाउंट नंबर:

  • बैंक का नाम: Bank Of India
  • खाता संख्या: 681610110012437
  • IFSC कोड: BKID0006816

हमारे साथ जुड़कर आप हक की इस राह में हमारा साथी बन सकते हैं। आपके सहयोग से हम एक मजबूत और सच्ची पहल की शुरुआत कर सकेंगे।

Post a Comment

Previous Post Next Post