जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी में जश्न-ए-सीरत-उन-नबी ﷺ, आफ़ताबे शरीअत मौलाना डॉ. सैयद कल्बे जवाद नक़वी का रूहानी खिताब

निदा टीवी डेस्क

नई दिल्ली, सितंबर 2025। जामिया हमदर्द (Deemed to be University - NAAC A+) में सीरत-ए-रसूल ﷺ के पैग़ाम को आम करने के लिए जश्न-ए-सीरत-उन-नबी ﷺ का आयोजन बड़े अदब और रूहानी कैफ़ियत के साथ हुआ। यह कार्यक्रम यूनिवर्सिटी के हॉन’बल चांसलर मिस्टर हम्माद अहमद की सरपरस्ती में और वाइस चांसलर प्रो. (डॉ.) एम. अफशर आलम की सदारत में सम्पन्न हुआ।

इस ऐतिहासिक जलसे की शान बने भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी, आफ़ताबे शरीअत मौलाना डॉ. सैयद कल्बे जवाद नक़वी साहब, इमाम-ए-जुमा शाही मस्जिद आसिफी लखनऊ। मौलाना ने अपने रूहानी खिताब में कहा कि रसूल-ए-अकरम ﷺ की सीरत इंसानियत के लिए राहे नजात है। उन्होंने इल्म, इंसाफ़, अमन और मोहब्बत के पैग़ाम को आज के दौर में सबसे बड़ी ज़रूरत बताया और तलबा से दीन और दुनियावी दोनों तालीम को हासिल कर समाज की बेहतरी में हिस्सा लेने की अपील की।

मुल्क के नामवर उलेमा और स्कॉलर्स की शिरकत

इस जलसे में देश के मशहूर आलिम-ए-दीन मुफ़्ती खालिद अय्यूब मिस्बाही (चेयरमैन, तहरीक उलेमा-ए-हिंद), डॉ. मोहम्मद रियाजुल इस्लाम नदवी (शरिया काउंसिल, जमीयत उलेमा-ए-हिंद), और डॉ. बाबली परवीन (एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ इस्लामिक स्टडीज़, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली) बतौर डिस्टिंग्विश्ड स्पीकर्स मौजूद रहीं। सभी विद्वानों ने सीरत-ए-नबी ﷺ के अलग-अलग पहलुओं पर रोशनी डालते हुए मोहब्बत, इंसाफ़ और इंसानियत के सार्वभौमिक संदेश को प्रस्तुत किया।

जामिया हमदर्द का योगदान

जामिया हमदर्द, जो तालीम और तहज़ीब का बेहतरीन संगम है, ने इस जलसे के ज़रिए एक बार फिर यह साबित किया कि यूनिवर्सिटी न सिर्फ अकादमिक उत्कृष्टता बल्कि रूहानी और समाजी जागरूकता में भी अहम किरदार अदा कर रही है। यूनिवर्सिटी के तलबा ने नात-ए-रसूल ﷺ और सलाम पेश कर महफ़िल को सरशार कर दिया।

रूहानी समापन

कार्यक्रम का समापन मौलाना कल्बे जवाद साहब की दुआ से हुआ, जिसमें मुल्क और उम्मत-ए-मुसलिमा के अमन, सलामती और इंसाफ़ के लिए ख़ास दुआ की गई। पूरा हॉल "या रसूल अल्लाह ﷺ" और "सलाम या नबी ﷺ" की सदाओं से गूंज उठा।


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