❇️ भारत-ईरान रिश्तों में नई रूहानियत का आग़ाज़: दिल्ली में आयतुल्लाह हकीम इलाही से हुई रौशन मुलाक़ात, लखनऊ की तहज़ीब की पेशकश


नई दिल्ली / हसनैन मुस्तफा 
भारत की सरज़मीं एक बार फिर गवाह बनी एक रूहानी, तालीमी और तहज़ीबी मिलन की, जब रहबर-ए-इंक़लाब आयतुल्लाह सैयद अली खामेनई के भारत में नुमाइंदे आयतुल्लाह अब्दुल मजीद हकीम इलाही साहब से दिल्ली के कल्चर हाउस में एक बेहद अहम और रूहपरवर मुलाक़ात हुई।

इस ऐतिहासिक मौके पर कई अहम मुद्दों पर गुफ़्तगू हुई जिनमें हज़रत अली (अ.स.) इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और इमाम खुमैनी रिफाइनरी प्रोजेक्ट जैसे शैक्षिक और सामाजिक प्रोजेक्ट्स प्रमुख रहे। विशेष रूप से बाराबंकी के किंतूर में इमाम खुमैनी र.अ. से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत पर बात कर उसे वैश्विक स्तर पर उजागर करने की योजना साझा की गई।

इस प्रोजेक्ट के हवाले से रहबर-ए-मोअज्जम आयतुल्लाह खामेनई की सेवा में एक बाअदब खत भी पेश किया गया, जिसमें इन प्रयासों के लिए ताईद और दुआओं की गुज़ारिश की गई।

📿 जब रूहानियत और तहज़ीब ने किया साथ लंच

इस नूरानी मुलाक़ात में हकीम इलाही साहब की सादगी, इल्म और फिक्र ने महफ़िल को मुतास्सिर कर दिया। अफ़्रीका में यूनिवर्सिटी खोलने के उनके तजुर्बे ने हिंदुस्तान के मंसूबों को भी नई दिशा दी। बातों का सिलसिला इतना मुकद्दस और दिल में उतरने वाला था कि दोपहर का खाना भी उनके साथ हुआ — जो इस मुलाक़ात को और भी यादगार बना गया।

🕌 तहज़ीब-ए-अवध की पेशकश: रूमी दरवाज़ा की यादगार सौग़ात

लखनऊ की रूहानी और तारीखी पहचान "रूमी दरवाज़ा" का एक यादगारी मोमेंटो आयतुल्लाह हकीम इलाही साहब को पेश किया गया। यह तहज़ीब की वो पेशकश थी जो सिर्फ एक तोहफा नहीं, बल्कि भारत और ईरान की सांस्कृतिक इत्तेहाद का पैग़ाम भी था।

🤝 मौजूद रहे देश के ज़िम्मेदार और कारकुन

इस मौके पर तहलका टुडे के एडिटर और सेव वक्फ इंडिया मिशन के वाइस प्रेसिडेंट सैयद रिज़वान मुस्तफा साहब भी मौजूद रहे, जिनकी जानिब से बाराबंकी व किंतूर की तालीमी और मज़हबी अहमियत पर रोशनी डाली गई।

इस मुकद्दस मुलाक़ात की रौनक तब और बढ़ गई जब हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद तकी नकवी साहब क़िब्ला की रहनुमाई भी साथ रही, जिन्होंने इस पूरी बातचीत को इल्मी और फिक्री ऊँचाइयों तक पहुंचाया।

🌟 अंबर फाउंडेशन: तहज़ीब और तालीम की खामोश मगर असरदार आवाज़

अंबर फाउंडेशन के चेयरमैन जनाब वफ़ा अब्बास साहब इस पूरे सफ़र की रूहानी कड़ी रहे। उनकी तरफ़ से की गई पेशकश और मेहमानदारी ने यह साबित किया कि जब नीयत पाक हो और मक़सद उम्मत की बेहतरी हो, तो हर लफ़्ज़ इबादत बन जाता है।


यह मुलाक़ात सिर्फ एक तारीख़ी लम्हा नहीं, बल्कि भारत और ईरान की रूहानी तहज़ीब का वो पुल है जो नस्लों को जोड़ने और तालीम को नया उजाला देने वाला है।

🕊️ दुआ है कि ये मंसूबे सिर्फ तहरीरों तक महदूद न रहें, बल्कि ज़मीन पर उतर कर उम्मत की तालीम, तहज़ीब और तरक्की का रौशन रास्ता बनें।

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