ईद-ए-ग़दीर — इबादत, इंसानियत और रूहानियत का दिन — इस्लामी कैलेंडर की 18 ज़िलहिज्जा को मनाया जाने वाला एक मुक़द्दस और अज़ीम दिन है, जिसे "ईदुल्लाह अल-अकबर" (अल्लाह की सबसे बड़ी ईद) भी कहा जाता है।
🔹 ईद-ए-ग़दीर क्या है?
ईद-ए-ग़दीर उस ऐतिहासिक दिन की याद है जब पैग़म्बर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने अपने आख़िरी हज (हजतुल विदा) के बाद ग़दीर-ए-ख़ुम नामी जगह पर, अल्लाह के हुक्म से, हज़रत अली (अ.स.) को "मौला" (वली/सुप्रीम लीडर) घोषित किया।
✦ पैग़म्बर ने फ़रमाया:
"من کنت مولاه فهذا علی مولاه"
"जिसका मैं मौला हूँ, अली उसका मौला है।"
इस एलान के बाद दीन-ए-इस्लाम मुकम्मल हुआ और अल्लाह ने आयत नाज़िल की:
"اليوم أكملت لكم دينكم..."
(मायने: आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मुकम्मल कर दिया) — [सूरा माएदा: 3]
🔹 ईद-ए-ग़दीर के आमाल और इबादतें:
ईद-ए-ग़दीर इबादत, शुक्र, तवज्जोह और इख़लास का दिन है। इस दिन के खास आमाल हज़रत इमाम अली नक़ी (अ.स.) और इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) से मुनक़्क़ल हैं।
✦ 1. ग़ुस्ल करना
पाक-साफ़ होकर ग़ुस्ल करना ईद के दिन की सुन्नत और पसंदीदा अमल है।
✦ 2. रोज़ा रखना (मुस्तहब रोज़ा)
ग़दीर के दिन रोज़ा रखने का बहुत सवाब है। रिवायत में है कि यह रोज़ा 60 साल की इबादत के बराबर है।
✦ 3. दो रकात नमाज़ (इब्तेदा-ए-ग़दीर)
यह नमाज़ दो रकात की है, हर रकात में:
- एक बार सूरा फ़ातिहा
- दस बार सूरा इख़लास
- दस बार आयतुल कुर्सी
- दस बार सूरा क़द्र
दुआ करें: “या अल्लाह! तू अली को जो वसी, इमाम और मौला बनाया, हमें उस विलायत पर क़ायम रख।”
✦ 4. ज़ियारत-ए- अमीरुल मोमिनीन (अ.स.) पढ़ना
ग़दीर के दिन की मशहूर ज़ियारत “ज़ियारत-ए-ग़दीर” है, जिसमें हज़रत अली (अ.स.) की फज़ीलत बयान की गई है।
✦ 5. एक-दूसरे को मुबारकबाद देना
"अलहम्दुलिल्लाह अल्लज़ी जआलना मिनल मुतमस्सिक़ीन बि विलायत-ए-अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.)"
(शुक्र है उस अल्लाह का, जिसने हमें अली की विलायत पर क़ायम किया)
✦ 6. तौसीअ (घरवालों पर खर्च करना)
रिवायत में है कि इस दिन अपने घरवालों और ज़रूरतमंदों पर कुछ अच्छा खर्च करें, जैसे मिठाई, खाना, कपड़े देना।
✦ 7. भाईचारा व मुहब्बत का इज़हार
"मुआख़ात" (भाईचारे की ताज़ा क़सम) की रस्म की जाती है — दो मोमिन एक-दूसरे को गवाह बना कर भाईचारे का अहद करते हैं।
🔹 क्या करें इस दिन?
✅ शुक्र अदा करें कि अल्लाह ने हमें विलायत अली (अ.स.) के साथ जोड़ा।
✅ अली (अ.स.) की सीरत, अदल, बहादुरी और इंसाफ को अपने अंदर उतारने का अहद लें।
✅ एक-दूसरे को गले लगाकर, मुस्कुरा कर और दुआ देकर इस दिन की अज़मत को फैलाएं।
✅ गरीबों, मज़लूमों, यतीमों, और मोहताजों को खाना खिलाएं और तोहफ़े दें।
✅ ग़दीर की हक़ीक़त लोगों तक पहुँचाएं — सोशल मीडिया, स्पीच, बच्चों को किस्से सुनाकर।
🌙 ईद-ए-ग़दीर की दुआ (संक्षेप में):
🕊 "या अल्लाह! हमें अमीरुल मोमिनीन अली (अ.स.) की मुहब्बत और पैरवी में ज़िंदगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा। हमारी नस्लों को विलायत से जुड़ा रख और हमें ग़दीर का पैग़ाम दुनिया तक पहुँचाने वालों में शामिल कर। आमीन।"
ईद-ए-ग़दीर महज़ एक तवारीखी वाक़िआ नहीं, बल्कि इमामत और इंसाफ़ के निज़ाम की बुनियाद है। यह दिन उस "नूर" का एलान है जो ता क़यामत हिदायत की राह दिखाता रहेगा।
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