🌱 इमाम हुसैन की याद में हरियाली का पैग़ाम: मौलाना हैदर अब्बास रिज़वी की अगुवाई में रुदौली शरीफ़ में भव्य वृक्षारोपण अभियान"धरती को सजाना भी इबादत है, और पेड़ लगाना सवाब का काम"


निदा टीवी डेस्क/हसनैन मुस्तफा 

रुदौली (अयोध्या):आज जबकि पर्यावरण संकट, जलवायु परिवर्तन और वनों की अंधाधुंध कटाई से मानव जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, ऐसे समय में रुदौली शरीफ़ से एक रौशन पैग़ाम पूरी कौम और इंसानियत को दिया गया। इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम और शहीदाने करबला की याद में जम्मा मस्जिद रुदौली के सामने स्थित सैयद मुहम्मद सालेह रहमतुल्लाह अलैह की मजार पर ग्यारह मुहर्रम को एक अनूठा और प्रेरणादायक वृक्षारोपण अभियान आयोजित किया गया।

इस मुहिम की अगुवाई की जानी-मानी शख्सियत, आलिमे-दीन मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी ने, जिन्होंने इसे केवल एक पौधारोपण कार्यक्रम नहीं, बल्कि "एक इबादत, एक इंकलाब और आने वाली नस्लों के लिए हदीया" करार दिया।


🌿 धर्म, पर्यावरण और सामाजिक ज़िम्मेदारी का संगम

इस कार्यक्रम की प्रेरणा बने ताज टेंट हाउस के मालिक जनाब ताज रुदौलवी, जिन्होंने शहीदों की याद में एक ऐसा कदम उठाया जो आज की सामाजिक और पर्यावरणीय ज़रूरतों के बिल्कुल अनुकूल है। मजलिस-ए-अज़ा के बाद मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी के कर-कमलों द्वारा पहला पौधा रोपा गया, और इसके बाद क्षेत्र के कई गणमान्य लोगों ने भी भागीदारी निभाई।

मौलाना ने अपने तिलिस्मी अंदाज़-ए-बयान में इस्लामी शिक्षाओं को सामने रखते हुए कहा:

"मासूमीन अलैहिस्सलाम ने इंसानों को सिर्फ इबादत की नहीं, बल्के ज़मीन की हिफाज़त की भी तालीम दी है।"


🌳 रहबर-ए-इंकलाब आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई का हवाला: “हरियाली को नुकसान मंज़ूर नहीं”

मौलाना ने ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई की शिक्षाओं को याद करते हुए कहा कि रहबर बार-बार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि:

"प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा सिर्फ सरकारों की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्के हर मुसलमान और नागरिक की ज़िम्मेदारी है।"

उन्होंने यह भी कहा कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना और बंजर भूमि को हरा-भरा बनाना इस्लाम के उसूलों और इंसानियत की बुनियादी ज़रूरतों में शामिल है।


🌾 पेड़ लगाना है कल की ज़िंदगी बचाना

मौलाना हैदर अब्बास ने कहा:

"वृक्षारोपण से न केवल वातावरण में सुधार आता है, बल्कि ये आने वाली नस्लों के लिए ऑक्सीजन का बैंक बनते हैं। बारिश का पानी ज़मीन में समाए, ज़मीन की उपज बढ़े, और हरियाली फैले — इन सबका रास्ता पेड़ों से होकर ही जाता है।"


👥 सामूहिक सहभागिता: समाज के हर तबक़े की भागीदारी

इस नेक मुहिम में समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े लोगों ने भाग लिया, जिनमें मुख्य रूप से शामिल रहे:

  • जनरल शबीह हैदर नक़वी
  • प्रसिद्ध नौहा ख़ान शबीह-उल-हसन
  • मोहम्मद मुस्तफा, अमीन अख्तर, खुर्शीद अख्तर
  • प्रमुख उद्योग पति एस.एम. क़ाईम, मोहम्मद अहसन, परवेज़ ज़ैदी
  • जॉन मियां, और कई स्थानीय नौजवान, समाजसेवी और बुज़ुर्ग

इन सभी ने यह संकल्प लिया कि वे आने वाले समय में इस मुहिम को और व्यापक बनाएंगे और हर बस्ती, हर मुहल्ले को हरा-भरा करेंगे।


रुदौली का संदेश पूरी दुनिया के लिए

इस ऐतिहासिक वृक्षारोपण अभियान ने यह सिद्ध कर दिया कि धर्म केवल मस्जिद-मअज़िद तक सीमित नहीं, बल्कि वह ज़मीन, पेड़, पानी और पूरी कायनात की हिफाज़त की बात करता है।
रुदौली शरीफ़ से उठी ये सदा अब पूरे अयोध्या, फिर उत्तर प्रदेश और आगे चलकर देश-दुनिया तक पहुंचे — यही इस मुहिम की ख्वाहिश है।


🔖 पेड़ लगाना भी इबादत है

आज ज़रूरत है कि हम भी रुदौली शरीफ़ के इस प्रयास से प्रेरणा लें और अपने-अपने क्षेत्र में वृक्षारोपण करें। शहीदों की याद, धर्म की शिक्षाएं और इंसानियत की पुकार — तीनों को मिलाकर एक हरित क्रांति की शुरुआत करें।


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