लखनऊ की जामा मस्जिद तहसीनगंज में एतिकाफ का आज से आगाज़, देश-दुनिया में अमन और तरक्की के लिए उठेंगी दुआएं

निदा टीवी डेस्क

लखनऊ। रमज़ान के पाक महीने में इबादत और रूहानियत का सिलसिला तेज़ हो गया है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित जामा मस्जिद तहसीनगंज में आज रात से 27वें एतिकाफ का आगाज़ हो रहा है। इस एतिकाफ में बैठने वाले मोमिनीन देश-दुनिया में अमन-शांति, भाईचारे और तरक्की के लिए रब्बुल आलमीन से दुआएं मांगेंगे।

कार्यक्रम के कन्वीनर शाहकार ज़ैदी ने बताया कि एतिकाफ में शामिल होने वाले मोमिनीन अल्लाह की इबादत में मशगूल रहकर, कुरआन की तिलावत, तस्बीह, नमाज़ और दुआओं में वक्त गुजारेंगे। उनका मकसद खुदा की रहमत, मग़फिरत और समाज की भलाई के लिए दुआ करना है। उन्होंने बताया कि एतिकाफ का आयोजन 22, 23 और 24 रमज़ानुल मुबारक को हो रहा है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 23, 24 और 25 मार्च 2025 को पड़ेगा।


🌙 एतिकाफ की फज़ीलत और महत्व

एतिकाफ रमज़ान के आखिरी अशरे में की जाने वाली खास इबादत है, जिसमें मोमिन दुनियावी उलझनों से अलग होकर खुद को अल्लाह की इबादत में समर्पित कर देता है। हदीसों में एतिकाफ की विशेष फज़ीलत बयान की गई है। पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) ने फरमाया, "जो रमज़ान के आखिरी अशरे में एतिकाफ करता है, उसे दो हज और दो उमराह का सवाब मिलता है।"

एतिकाफ के फायदे:

  • गुनाहों की माफी: एतिकाफ करने वाले के पुराने गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।
  • रूहानी तज़किया: यह आत्मा को पाक करता है और दिल को रूहानियत से भर देता है।
  • शबे क़द्र का सवाब: एतिकाफ करने वालों को रमज़ान की सबसे बड़ी रात शबे क़द्र का सवाब भी नसीब होता है।
  • अल्लाह का क़रीब होना: एतिकाफ के जरिए मोमिन अल्लाह की रहमतों का हकदार बनता है।

🤲 दुआओं में मांगी जाएंगी अमन और तरक्की की मुरादें

शाहकार ज़ैदी ने बताया कि एतिकाफ में शामिल मोमिनीन सिर्फ अपनी मग़फिरत और रहमत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया में अमन-चैन, भाईचारे और तरक्की के लिए भी दुआ करेंगे।

  • भारत की सलामती और खुशहाली के लिए खास दुआ की जाएगी।
  • ईरान,फिलिस्तीन, यमन, सीरिया ,लेबनान जैसे मुल्कों में अमन और इंसाफ के लिए भी दुआएं मांगी जाएंगी।
  • गरीबों, मजबूरों और ज़रूरतमंदों के लिए रहमत और बरकत की दुआ की जाएगी।

🌟 एतिकाफ में शामिल होने का तरीका

आयोजन समिति ने मोमिनीन से गुज़ारिश की है कि वे 21 रमज़ान का दिन गुज़ारकर, रात में मस्जिद में दाखिल हो जाएं, ताकि 22 रमज़ान की सुबह से पहले वे एतिकाफ में शामिल हो सकें।

इस कार्यक्रम के संयोजक रिज़वान हैदर (8851705899), डॉ. बाक़र इमाम ज़ैदी (9889973885) और शाहकार ज़ैदी (9335360310) हैं। 


🕌 एतिकाफ के दौरान की जाने वाली इबादतें:

  • कुरआन की तिलावत और तस्बीह: ज्यादा से ज्यादा कुरआन पढ़ने और तस्बीह करने की सलाह दी गई है।
  • तौबा और इसतेग़फार: अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी और रहमत की दुआ करें।
  • शबे क़द्र की इबादत: शबे क़द्र में खास इबादत करके हजार महीनों का सवाब हासिल करें।
  • अल्लाह का ज़िक्र: हर वक्त अल्लाह का ज़िक्र करें और दुआओं में मशगूल रहें।

एतिकाफ में शामिल होकर पाएं रहमत और सवाब

इस पाक इबादत में शामिल होने वाले मोमिनीन को दीन और दुनिया दोनों का फायदा मिलेगा। अल्लाह की रहमत, मग़फिरत और बरकत हासिल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल होने की अपील की गई है।

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