📖 रमज़ान की 24वीं – कुरआन के 24वें पारे की तफसीर: अल्लाह की रहमत, तौहीद और इंसाफ का पैग़ाम


निदा टीवी डेस्क

🌙 लखनऊ: रमज़ान का पाक महीना अपने आख़िरी अशरे में दाखिल हो चुका है, जहां अल्लाह की रहमतें, मग़फिरत और जहन्नुम से आज़ादी की बेशुमार बरकतें नाज़िल हो रही हैं। जामा मस्जिद तहसीनगंज, लखनऊ में जारी "माहे खुदा, किताबे खुदा के साथ" जलसे में आज 24वें रमज़ान को कुरआन के 24वें पारे की तफसीर पेश की गई।

👉 इस रूहानी जलसे में मौलाना मोहम्मद रज़ा साहब ने 24वें पारे की तफसीर बयान की, जिसमें अल्लाह की तौहीद, उसके इंसाफ, गुनाहों की सज़ा, नेक अमल की बरकत और रोज़-ए-क़यामत का खौफनाक मंज़र बयान किया गया।

📡 यह जलसा हुसैनी चैनल, विलायत टीवी, कुरआन टीवी समेत कई चैनलों पर लाइव प्रसारित किया गया, ताकि दुनियाभर के मोमिनीन इस रूहानी महफिल से जुड़ सकें।


📜 24वें पारे की तफसीर: अल्लाह की रहमत और इंसाफ का नूरानी पैग़ाम

1️⃣ अल्लाह की तौहीद और उसकी रहमत का बयान (सूरह अज-जुमर, आयत 53-75)

👉 इस पारे में अल्लाह अपने बंदों को दावत देता है कि चाहे उन्होंने कितने ही गुनाह क्यों न किए हों, अगर वह सच्चे दिल से तौबा कर लें, तो अल्लाह उन्हें माफ कर देगा।
👉 अल्लाह कहता है:
"ऐ मेरे बंदो, जिन्होंने अपनी जानों पर ज़ुल्म किया है, तुम अल्लाह की रहमत से मायूस न हो। बेशक, अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देता है।" (सूरह अज-जुमर: 53)

➡️ सबक:
✅ कोई भी गुनाह अल्लाह की रहमत से बड़ा नहीं है।
✅ तौबा का दरवाजा हमेशा खुला रहता है, लेकिन क़यामत के दिन दरवाजा बंद हो जाएगा।


2️⃣ रोज़-ए-क़यामत का खौफनाक मंज़र (सूरह अज-जुमर, आयत 67-75)

👉 इस पारे में क़यामत के दिन का मंजर बयान किया गया है, जहां अल्लाह अपनी ताकत का इज़हार करेगा।
👉 अल्लाह के हुक्म से सूर फूंका जाएगा, जिससे सारी दुनिया खत्म हो जाएगी और फिर दोबारा सूर फूंका जाएगा, जिससे तमाम मख्लूक को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा।
👉 उस दिन हिसाब-किताब का वक्त होगा, जहां किसी पर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा और हर इंसान को उसके अमल के मुताबिक सिला मिलेगा।

➡️ सबक:
✅ दुनिया में किया गया हर अमल दर्ज हो रहा है।
✅ क़यामत के दिन कोई सिफारिश काम नहीं आएगी, सिवाय अल्लाह की रहमत के।
✅ नेक अमल करने वालों को जन्नत और गुनाहगारों को दोज़ख नसीब होगी।


3️⃣ हिदायत और इंसाफ का पैग़ाम (सूरह ग़ाफिर, आयत 1-20)

👉 सूरह ग़ाफिर में अल्लाह अपने बंदों को हिदायत का रास्ता अपनाने और ज़ुल्म से बचने का हुक्म देता है।
👉 इसमें ज़िक्र किया गया है कि जब बंदा अल्लाह के रास्ते से हटकर गुनाह में पड़ जाता है, तो वह खुद अपने लिए सज़ा का इंतज़ाम कर लेता है।
👉 अल्लाह हर शख्स को उसके नेक और बद अमल के मुताबिक सिला देगा।

➡️ सबक:
अल्लाह का इंसाफ मुकम्मल है।
✅ नेक लोगों को जन्नत की राहतें मिलेंगी, जबकि ज़ालिमों और गुनाहगारों को उनके अमल के मुताबिक सज़ा दी जाएगी।


4️⃣ सब्र और तौहीद की ताक़त (सूरह ग़ाफिर, आयत 30-50)

👉 इस पारे में एक मुमिन का किस्सा बयान किया गया, जिसने फिरऔन के दरबार में सब्र और ईमान के साथ अल्लाह का पैग़ाम पहुंचाया।
👉 उसने कहा:
"मेरी क़ौम, अगर तुम अल्लाह पर ईमान लाए हो, तो उसी पर भरोसा रखो।" (सूरह ग़ाफिर: 38)
👉 यह आयत हमें सिखाती है कि सच्चाई पर डटे रहना और अल्लाह पर भरोसा रखना ही कामयाबी की कुंजी है।

➡️ सबक:
✅ ईमान और तौहीद का दामन थामे रहना चाहिए, चाहे हालात कैसे भी हों।
✅ सच्चे ईमान वालों को अल्लाह कभी ज़ाया नहीं करता।


💡 24वें पारे की तफसीर से मिलने वाले सबक

🔹 अल्लाह की रहमत हर गुनाह से बड़ी है, इसलिए सच्चे दिल से तौबा करें।
🔹 रोज़-ए-क़यामत का खौफ हमेशा दिल में होना चाहिए, ताकि हम गुनाहों से बच सकें।
🔹 नेक अमल ही असली दौलत है, जो आख़िरत में काम आएगी।
🔹 सब्र और ईमान ही इंसान को ज़ालिमों के खिलाफ मजबूत बनाता है।


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📅 25 रमज़ान | शाम 4:00 बजे से 5:30 बजे तक
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