"इमाम-ए- ज़माना की पहचान,पैगाम और इंसानियत की खिदमत के जज़्बे को जागृत करने के लिए बाराबंकी की पावन सरज़मीं देवा महादेवा के आलमपुर में नूर-ए-असर क्रैश कोर्स का मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी के जेरे एहतेमाम ऐतिहासिक आयोजन"


निदा टीवी डेस्क/@ज़ामिन आलमपुरी 

बाराबंकी: फरवरी की 11 से 13 तारीख तक, बाराबंकी के आलमपुर गांव में इदारा-ए-इल्म व दानिश, लखनऊ के तत्वावधान में और स्थानीय मोमिनीन के सहयोग से नूर-ए-अस्र क्रैश कोर्स का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आखिरी हुज्जत-ए-खुदा की पहचान और उनकी मारफ़त  के लिए रास्ता बनाना था।

बीते दिन लगभग 200 युवा—महिलाएं और पुरुष—इस परीक्षा में शामिल हुए। इस परीक्षा के दौरान छात्रों की निगरानी और मार्गदर्शन के लिए मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी, मौलाना अयाज़ हुसैन और मौलाना ज़ाएर आबिद उपस्थित रहे।


इनाम वितरण समारोह

मगरिब के बाद पुरस्कार वितरण समारोह शुरू हुआ, जिसे मौलाना सैयद अयाज़ हुसैन ने तिलावत-ए-क़ुरआन से आरंभ किया। इसके बाद, एनिश नाम के कमसिन बच्चे ने इमाम-ए-ज़माना की शान में एक खूबसूरत नज़्म पेश की। अलमास ज़हरा ने प्रसिद्ध कलाम "जब इमाम आएंगे" पढ़ा। अदीला मरयम और अदीला सुगरा ने ज्ञान पर आधारित शेर पेश किए।

कार्यक्रम के दौरान, समरीन बानो ने नूर-ए-अस्र क्रैश कोर्स के लिए बाराबंकी के आलमपुर गांव के चयन पर ख़ुशी जताई और बताया कि इस कोर्स से युवाओं को बहुत लाभ मिला। उन्होंने खास तौर पर इस बात पर संतोष जताया कि इसमें भाईयों के साथ बहनों को भी शामिल होने का अवसर दिया गया।

कोर्स की रिपोर्ट और भागीदारी

मौलाना ज़ाएर आबिद ने कार्यक्रम की रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि यह कोर्स लगातार चौथे वर्ष अलग-अलग क्षेत्रों में इमाम की पहचान और प्रतीक्षारत लोगों को उनके कर्तव्यों की ओर ध्यान दिलाने के लिए आयोजित किया जा रहा है। मध्य प्रदेश, बिहार, लखनऊ के बाद इस साल बाराबंकी के आलमपुर में आयोजित इस कोर्स में 450 से अधिक युवा शामिल हुए। स्थानीय छात्रों के अलावा, संगौरा, दीवारा, क़ादिरपुर गढ़ी, जरगावां आदि से भी प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस क्रैश कोर्स के प्रमुख शिक्षक मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी ने अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए आलमपुर के स्थानीय लोगों का आभार जताया और कहा कि सेमिनार, कॉन्फ्रेंस और इस तरह के शॉर्ट-टर्म कोर्स ज्ञान और जागरूकता बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

सम्मान और पुरस्कार

आलमपुर के प्रधान सफ़ीर हैदर ने मौलाना सैयद हैदर अब्बास को शॉल और सम्मान पत्र देकर उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "आलमपुर की बस्ती आपकी आभारी है। आप जिस तरह से विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक संदेशों का प्रचार कर रहे हैं और युवाओं को जागरूक कर रहे हैं, वह काबिले तारीफ है। हम चाहते हैं कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित होते रहें।"

इसके अलावा, ज़ाएर और ज़ामिन आलमपुरी ने मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी को "नूर-ए-अस्र अवॉर्ड" से सम्मानित किया।

इदारा-ए-इल्म व दानिश की ओर से मौलाना ज़ाएर आबिद और मौलाना अयाज़ हुसैन को मेमेंटो और संस्था द्वारा प्रकाशित "नहजुल बलाग़ा" की सुंदर प्रति भेंट की गई।

प्रतियोगिता के विजेता और पुरस्कार

मौलाना ज़ाएर आबिद ने बताया कि छह प्रतिभागियों के अंक समान आए, इसलिए लॉटरी सिस्टम से पुरस्कार दिए गए।

  • अक्सीर फातिमा को पहला पुरस्कार मिला, जिसमें मेमेंटो, प्रमाण पत्र और एक मिक्सर ग्राइंडर (जरार ट्रेडर्स के मालिक द्वारा दिया गया) शामिल था।
  • इदारा-ए-इल्म व दानिश की ओर से सभी उत्कृष्ट छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र और उपहार दिए गए।

इसके अलावा, लाइफ केयर के मालिक समेत अन्य प्रमुख व्यक्तियों—नफीस हैदर, ज़ामिन आलमपुरी, हैदर इलेक्ट्रॉनिक्स, मौलाना अयाज़ हुसैन आदि—ने भी युवाओं के प्रोत्साहन के लिए पुरस्कार दिए। इन पुरस्कारों के योगदानकर्ताओं में शामिल थे:

  • मोहम्मद आरिफ (आर्मी)
  • ज़ाएर मेहदी
  • साज स्टूडियो
  • दानिश इलेक्ट्रॉनिक्स
  • मौलाना समीउर हुसैन
  • खानदान-ए-आलिया बानो
  • ग़दीर हैदर
  • मोहम्मद सकलैन
  • शफ़ाअत हुसैन

विशेष पुरस्कार और आभार

सर्वश्रेष्ठ नोट्स तैयार करने वाले छात्रों—मोहम्मद कौनेन, तूबा ज़ैदी, ज़ूबी बानो, तफ़्सीर फातिमा और तस्बीह ज़हरा—को विशेष उपहार दिए गए, जिनमें क़ुरआन मजीद और नहजुल बलाग़ा की प्रतियां शामिल थीं।

कार्यक्रम को सफल बनाने वाले स्वयंसेवकों का आभार व्यक्त करते हुए, मौलाना सैयद हैदर अब्बास ने वसीमा बानो को विशेष उपहार दिया।

इसके अलावा, दौरान-ए-तदरीस (पढ़ाई के दौरान) की बेहतरीन गतिविधियों और शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए असगरी बानो, अलमास फातिमा और मोहम्मद असकरी को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का समापन

बाराबंकी जिले के सैयदवाड़ा क्षेत्र के आलमपुर गांव में आयोजित नूर-ए-अस्र क्रैश कोर्स को स्थानीय लोगों और धार्मिक समुदाय से शानदार प्रतिक्रिया मिली।

समापन समारोह में गांव के गणमान्य लोग और बुजुर्ग शामिल हुए।

अंत में, दुआ-ए-फरज पढ़ी गई और साथ ही निम्न हस्तियों के लिए सूरह फातिहा और सूरह तौहीद का पाठ किया गया:

  1. इमाम खुमैनी (रह.)—इस्लामी क्रांति के संस्थापक
  2. सय्यद गुलाम असकरी (रह.)—बानी-ए-तंजीम
  3. मौलाना डॉक्टर सैयद कल्बे सादिक नक़वी (रह.)—हकीम-ए-उम्मत
  4. सय्यद हसन नसरुल्लाह—सय्यद-ए-मुक़ावमत

इस तरह, पूरे जोश और उमंग के साथ यह ज्ञानवर्धक कार्यक्रम संपन्न हुआ जो यादगार रहा

@ज़ामिन आलमपुरी

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