निदा इंटरनेशनल डेस्क
गाजा की एक गली में खेलने वाली, हंसी-खुशी से भरी छोटी सी बच्ची हिंद राजब, एक दिन एक ऐसी दुखद कहानी का हिस्सा बन गई, जिसे सुनकर हर इंसान का दिल रो पड़ा। उसकी कहानी केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की है। एक मासूम बच्ची की जिंदा रह जाने की कीमत, उसकी जान की भारी कीमत, और उसकी आखिरी चीख़ ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया।
29 जनवरी 2024 का वह दिन, जब हिंद के ममरे चाचा बशर हमदा ने अपने परिवार के साथ गाजा के दक्षिणी हिस्से में स्थित अपने घर को छोड़ने का निर्णय लिया। इस्राइली हमलों से बचने के लिए वे सुरक्षित क्षेत्र की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन जो रास्ता उन्हें नज़र आया, वह दर्द और त्रासदी का रास्ता बन गया। ताल अल-हावा के इलाके में, उन्हें इस्राइली सैनिकों ने रोका और उन पर गोलियां दाग दीं। बशर, उनकी पत्नी और तीन बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, लेकिन हिंद, वह मासूम बच्ची, किसी तरह बच गई।
हिंद के जीवन ने एक ऐसी गहरी छाप छोड़ी, जो न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरी दुनिया के दिलों में गहरी गूंज गई। जब हिंद ने फिलिस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसाइटी को फोन किया और तीन घंटे तक उनसे बात की, तो उसकी बातों ने हर एक को झकझोर दिया। उसका अंतिम वाक्य – "मैं बहुत डरी हुई हूं, कृपया आओ" – सिर्फ एक बच्ची के डर को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बच्चों के डर और अकेलेपन की आवाज़ बन गया।
उसकी निर्दोष आवाज़ और उसकी दर्दनाक कहानी ने उसे केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक आंदोलन का प्रतीक बना दिया। हिंद का नाम अब उन लाखों बच्चों और परिवारों की दुखों का प्रतीक है, जो युद्ध और हिंसा की चपेट में हैं। उसकी छोटी सी जान ने उस बर्बरता का विरोध किया, जो पूरी दुनिया में फैल रही है, और उसकी याद में फाउंडेशन का निर्माण हुआ, जिसका उद्देश्य फिलिस्तीनी बच्चों की दुर्दशा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है।
हिंद के नाम पर, कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्रों ने हैमिल्टन हॉल को "हिंद का हॉल" के नाम से पुकारा, जो इस बात का प्रतीक था कि उसकी मासूमियत ने दुनिया के हर कोने में एक सशक्त आवाज़ का रूप लिया।
हिंद राजब की कहानी एक अत्यंत मार्मिक और दिल को छू लेने वाली कहानी है, जो यह सिखाती है कि कभी भी युद्ध और हिंसा में निर्दोषों की जान की कीमत नहीं मापी जा सकती। उसकी शहादत अब पूरी दुनिया में संघर्ष, इंसाफ और मानवता की प्रतीक बन चुकी है। वह एक बच्ची नहीं, बल्कि एक सशक्त आवाज़ है, जो हमें यह याद दिलाती है कि जब तक इंसानियत को बचाने के लिए हम नहीं उठ खड़े होते, तब तक निर्दोषों की आहें गूंजती रहेंगी।
गाजा की इस मासूम शहीद बच्ची, हिंद राजब की याद में दुनिया का दिल हर रोज़ धड़कता रहेगा, और उसकी वीरता, उसके संघर्ष की कहानी कभी खत्म नहीं होगी।
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