❌ औक़ाफ़ की मिल्कियत पर कब्ज़ा – हराम!
❌ हराम कमाई से हलाल की तलाश – मुमकिन नहीं!
❌ ज़बान से हुसैनी, अमल से यज़ीदी – नामंज़ूर!
इमाम हुसैन (अ) ने कर्बला में क्या पैग़ाम दिया?
- अमनतदारी और अदल का!
- हक़ और इंसाफ़ का!
- ज़ुल्म और हरामखोरी से लड़ने का!
अगर इमाम हुसैन (अ) के सच्चे चाहने वाले है, तो पहले औक़ाफ़ की हिफाज़त करे, हक़दारों का हक़ लौटाये, और हराम से तौबा करे! वरना यह नारा सिर्फ़ एक खोखला दावा बनकर रह जाएगा।
"लब्बैक या हुसैन" कहना आसान है, मगर उस पर अमल करना मुश्किल! जो हुसैनी बनना चाहते हैं, उन्हें पहले अपनी नीयत और अमल को दुरुस्त करना होगा!"
⚠ सोचो! हुसैन (अ) के नाम पर हराम खाना, उनकी तालीम की तौहीन नहीं तो और क्या है?
✊ औक़ाफ़ की हिफाज़त करे!
✊ हराम से बचे!
✊ सच्चे हुसैनी बने!
✒️सैयद रिज़वान मुस्तफा
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