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निदा टीवी डेस्क
आज, शबे 3 रजब, जब पूरी दुनिया में शहादत के याद में इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम की याद ताजा हो रही थी,
लखनऊ का सामरा गार वाली करबला मातम और अकीदत से गूंज रहा था।
इस याद का हर एक पल, इमाम अली नकी की शहादत की याद में डूबा हुआ था, और वहां उपस्थित हर एक शख्स का दिल उनकी मोहब्बत में तैर रहा था।
लखनऊ का खदरा, जो इमामे ज़माना अ.फ. के पहचान के साथ दादा इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम और वालिद ए बुजुर्गवार इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की याद में बना हुआ भारत का इकलौता सामरा और करबला है,
शबे शहादत एक सजीव प्रतीक बन गया। यहां का माहौल बयां करता था इमाम के प्रति अकीदत और श्रद्धा का। इमाम के रोज़े पर पहुंचते ही आंसू और दुआएं अपने आप गालों पर बहने लगीं, जैसे दिल का हर एक टुकड़ा उनसे जुड़ा हुआ हो।
वहां बने जनाबे जैनब और जनाबे सकीना के रोज़े की जरी से लिपट कर, वहां उपस्थित लोग सीरिया की जियारत के लिए दुआ कर रहे थे।
इस मौके पर, इमामे ज़माना अ फ़. के यादगार पर दुनिया में अमन और शांति की दुआ के साथ साथ, मस्जिद में आयोजित मजलिस में शामिल होकर सभी ने नमाज और अलम के जुलूस में भाग ले रहे थे, जुलूस जब इमाम अली नकी के रोज़े पर पहुंचा, तो वहां की गूंज ने माहौल को एक नई रूहानी ऊंचाई पर पहुंचा दिया। हाय इमामे नकी की सदा हर दिल को गहरे तक छूने वाली थी।
आंखों में आंसू और दिल में मोहब्बत का जज्बा एक साथ उमड़ा।
कुरान की तिलावत और दुआओं के साथ, यह पल मातम और श्रद्धा के इस सफर का हिस्सा बन गया।
10 वे इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम – एक महान शख्सियत और उनका पैगाम
इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम, जिन्हें इमाम अली हादी अल-जवाद भी कहा जाता है, इमाम हसन और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के पोते थे और अली के 10वें वंशज थे। उनका जन्म 827 ईस्वी (214 हिजरी) में हुआ था, और वह इमाम मोहम्मद तकी अलैहिस्सलाम के बेटे थे। इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम का कार्यकाल 20 वर्ष तक रहा, और वह 868 ईस्वी (254 हिजरी) में शहीद हो गए। इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक और शिक्षा से भरपूर था, और उनका पैगाम आज भी पूरे विश्व में अमूल्य है।
इमाम अली नकी का पैगाम
1. अखलाक और आदर्श का उदाहरण: इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम का जीवन सच्चाई, ईमानदारी, और इंसानियत के सिद्धांतों का जीता जागता उदाहरण था। उन्होंने हमेशा समाज में सुधार की कोशिश की और लोगों को सच्चाई की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। उनका व्यक्तित्व लोगों में धैर्य, सहनशीलता, और सही मार्गदर्शन का प्रतीक था।
2. विज्ञान और ज्ञान की अहमियत: इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम ने शिक्षा और ज्ञान को बहुत महत्व दिया। उन्होंने हमेशा अपने शिष्यों को तालीम देने का प्रयास किया और लोगों को सही ज्ञान की ओर मार्गदर्शन किया। उनका यह पैगाम आज भी दुनिया भर में शिक्षा के महत्व को दर्शाता है।
3. धार्मिक और सामाजिक सुधार: इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम का मुख्य उद्देश्य समाज में धार्मिक और सामाजिक सुधार लाना था। उन्होंने शिरकत, दीन और अमन की अहमियत को समझाया। उनका जीवन यह सिखाता है कि हमें हर हाल में इंसानियत के साथ जीने का प्रयास करना चाहिए।
4. धैर्य और कठिनाइयों का सामना: इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम ने अपने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने धर्म और कर्तव्यों से समझौता नहीं किया। उनका जीवन यह सिखाता है कि हमें किसी भी कठिन परिस्थिति में अपने विश्वासों को मजबूत रखना चाहिए और इन्साफ की राह पर चलते रहना चाहिए।
5. शहादत और बलिदान का संदेश: इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम का जीवन शहादत और बलिदान का प्रतीक था। उनकी शहादत ने यह संदेश दिया कि अपने धर्म और सत्य के लिए आत्मसमर्पण करना सबसे महान कार्य है।
इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम का पैगाम आज भी हमारे लिए एक मार्गदर्शन है। उन्होंने हमेशा धर्म, सत्य, और इंसानियत के उच्चतम मानकों को जीवित रखा और हमें यह सिखाया कि समाज की सेवा, शिक्षा का प्रसार, और सत्य के लिए संघर्ष ही असल जीवन का उद्देश्य है।
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