जिस नसीरूल मिल्लत हाल में तंज़ीमुल मकातिब मिशन की होती थी मजम्मत,मौलाना गुलाम अस्करी के इंतेकाल पर बंटी थी मिठाई,उस हाल में तंजीम केे छात्रों का जलवा बना चर्चा: हुस्न ए किरत प्रोग्राम में नंबर वन का जीता खिताबशिया कॉलेज के मंच से इतिहास रचने की नई इबारत



लखनऊ। शिया पीजी कॉलेज के नसीरुल मिल्लत हॉल में आयोजित हुस्न-ए-क़िरात प्रतियोगिता एक ऐतिहासिक अवसर बन गया। यह वही मंच है जहां कभी तंज़ीमुल मकातिब के मिशन और उसके संस्थापक मौलाना गुलाम अस्करी साहब की आलोचना की जाती थी। एक ऐसा समय भी था जब मौलाना गुलाम अस्करी साहब के अचानक हुए इंतेकाल पर शिया कॉलेज, विक्टोरिया स्ट्रीट से मिठाइयां बांटी गई थीं। लेकिन समय ने करवट ली, और आज उसी कॉलेज के मंच पर तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों ने अपनी बेहतरीन क़िरात से न केवल इस आलोचना को खारिज किया, बल्कि अपनी योग्यता का ऐसा प्रदर्शन किया कि यह आयोजन उनकी सफलता का प्रतीक बन गया।

तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों का सर चढ़कर बोला जलवा

प्रतियोगिता में तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों ने अपने हुनर और तिलावत की खूबसूरती से सभी को प्रभावित किया।

पहला स्थान कारी सैयद नक़ी अब्बास ज़ैदपुरी (जामिया इमामिया, तंज़ीमुल मकातिब, लखनऊ) ने प्राप्त किया।

दूसरा स्थान कारी सैयद तक़ी जाफरी (जामिया इमामिया, तंज़ीमुल मकातिब, लखनऊ) के नाम रहा।

तीसरा स्थान कारी मोहम्मद हसन (मदरसा तजवीद क़ुरान, लखनऊ) ने अपने नाम किया।

कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन का पुरस्कार कारी मिर्जा मोहम्मद अब्बास (मदरसा तजवीद क़ुरान, लखनऊ) को दिया गया।

नसीरुल मिल्लत हॉल बना ऐतिहासिक मंच

कभी आलोचनाओं का केंद्र रहने वाला यह मंच, अब तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों की शानदार उपलब्धियों का गवाह बना। मौलाना गुलाम अस्करी साहब के संघर्ष और उनके मिशन के मूल्यों को इस सफलता ने मानो नया जीवन दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत और जजों का योगदान

कार्यक्रम का आगाज़ कारी नदीम नक़वी द्वारा तिलावत-ए-क़ुरान-ए-पाक से हुआ। प्रतियोगिता के जज मौलाना मोहम्मद इब्राहिम, मौलाना अबू इफ्तेखार ज़ैदी और कारी ताहिर जाफरी ने छात्रों के कौशल और तिलावत की शैली का बारीकी से मूल्यांकन किया।

प्रमुख वक्ताओं के विचार

मौलाना मिर्जा यासूब अब्बास, मौलाना मिर्जा जाफर अब्बास, मौलाना सैयद पयाम हैदर, और मौलाना सैयद ज़हीर अब्बास जैसे विद्वानों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए इसकी सराहना की। शिया पीजी कॉलेज के प्रबंधक अब्बास मुर्तज़ा शम्सी ने कहा कि यह आयोजन धार्मिक और शैक्षिक समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मोमिनीन का जोश और समर्थन

कार्यक्रम में लखनऊ और अन्य शहरों से बड़ी संख्या में मोमिनीन, उलमा, और धार्मिक संस्थानों के ज़िम्मेदारों ने शिरकत की। तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों की इस ऐतिहासिक सफलता ने सभी को गौरवान्वित किया।

मौलाना गुलाम अस्करी साहब के मिशन की जीत

मौलाना गुलाम अस्करी साहब के विरोध और उनके इंतेकाल पर मिठाइयां बांटने वाले आज उन्हीं के मिशन और उनकी शिक्षाओं की अहमियत को स्वीकार करने पर मजबूर हो गए। तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों की सफलता ने न केवल आलोचकों को करारा जवाब दिया, बल्कि मौलाना गुलाम अस्करी साहब के मिशन की सच्चाई और मजबूती को भी साबित कर दिया। यह आयोजन तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों की मेहनत और उनकी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता का प्रतीक बन गया।

शिया कॉलेज का नसीरुल मिल्लत हॉल इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना, जब तंज़ीमुल मकातिब के छात्रों ने अपनी प्रतिभा से हर आलोचना को जवाब देते हुए अपनी पहचान बनाई। यह आयोजन धार्मिक और शैक्षिक जगत के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ और मौलाना गुलाम अस्करी साहब के मिशन की सच्चाई को एक नई पहचान दी।

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