"सामरा गार वाली करबला की सफाई और सुरक्षा पर सवाल: क्या शिया क़ौम इमामे जमाना अ.फ. के यादगार के लखनऊ में स्थल की पवित्रता को बचा पाएगी?"


निदा टीवी डेस्क/अली मुस्तफा

लखनऊ: इमामे जमाना अ.फ. का पवित्र स्थल सामरा गार वाली करबला लखनऊ में शिया समुदाय के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां हर साल लाखों जायरीन आते हैं। लेकिन हाल ही में इस स्थल की सफाई, सुरक्षा, और सुंदरीकरण को लेकर शिया समुदाय में चिंता बढ़ रही है। क्या हुसैनाबाद ट्रस्ट के कर्मचारियों को इस स्थल की जिम्मेदारी निभाने में पूरी सफलता मिल रही है? इस सवाल का जवाब हर शिया मोमिन को सोचना होगा।

25 दिसंबर को, तहलका टुडे के एडिटर और सेव वक्फ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट सैयद रिज़वान मुस्तफा, अम्बर फाउंडेशन के चेयरमैन सैयद वफा अब्बास और खदीजा वेलफेयर फाउंडेशन के सेक्रेट्री समाजसेवी अली आगा सामरा गार वाली करबला की जियारत के लिए पहुंचे। जब वे सीतापुर रोड की तरफ से दरवाजे के पास पहुंचे, तो दरवाजा बंद था। अंदर से कुछ लड़के गालियां बकते हुए इंटेलॉकिंग पर आज़ादी से खेल रहे थे, और एक लड़का गेट पर चढ़कर फांदने की कोशिश कर रहा था। जब अली आगा भाई ने उन्हें डांटा, तो वह भाग गए। जिम्मेदार अमीन भाई से संपर्क किया गया, और बाद में दरवाजा खुला, लेकिन जब क्रिकेट खेल रहे लड़कों को डांटा गया, तो उन्होंने कहा, "कोई मना नहीं करता।"सामरा गार वाली करबला में साफ-सफाई और सुरक्षा की स्थिति गंभीर हो गई है। वहां के जिम्मेदारों ने बताया कि जब कुछ दिन पहले क्रिकेट खेल रहे लड़कों को डांटा गया था, तो वे मारपीट पर उतर आए थे और एक व्यक्ति ने दांत काट लिया था। शिकायत करने पर पुलिस भी हुसैनाबाद ट्रस्ट के कर्मचारियों के दबाव में सुलह करवा देती है। इसके अलावा, 107/16 जैसी कार्रवाई भी होती है और हर पंद्रह दिन में एसीपी ऑफिस जाना पड़ता है।

इसी दौरान, सैयद रिज़वान मुस्तफा, सैयद वफा अब्बास और अली आगा ने पुलिस को सूचित करने का सुझाव दिया और कहा कि यदि 112 डायल किया जाए, तो यहां पर अराजकता, अवैध कब्जे, कूड़ा फेंकने, और गाड़ियों की अवैध पार्किंग से छुटकारा पाया जा सकता है। वहां के कर्मचारियों के हालात की जानकारी मिली कि उन्हें पीएफ जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी जा रही हैं।

हालांकि, मोमिनीन कराम की कोशिशों से रोज़े के अंदर कुछ सुधार दिखाई दिया, लेकिन सफाई की कमी अब भी साफ़ नजर आ रही थी। इसकी वजह क़ौम की लापरवाही और तवज्जो की कमी थी।

सैयद रिज़वान मुस्तफा, सैयद वफा अब्बास और अली आगा ने सामरा गार वाली करबला में नमाज पढ़ी और जियारत की दुआ की, और इस मुकद्दस जगह की हिफाजत और सफाई के लिए अपनी कोशिशों का अहद किया। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि यहां पांचों वक्त नमाज, दरसे कुरान और सुंदरीकरण की प्रक्रिया को लेकर भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आफताबे शरीयत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब, बारह सौ मकतबों के बोर्ड तंजीमुल मकातिब के सेक्रेट्री मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी साहब, इमामे जमाना के नायब ग्रांड रिलिजियस अथारिटी आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी के लखनऊ में वकील मौलाना सैयद अशरफ अली गरवी, और शिया डिग्री पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज के प्रबंधक व प्रिंसिपल के साथ सभी उलेमा,मदरसे,अंजुमने और  इदारो से इस कार्य में सहयोग की गुजारिश की जाएगी।

सामरा गार वाली करबला को लावारिस नहीं छोड़ा जाएगा, और इसे एक आदर्श धार्मिक स्थल बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। सैयद वफा अब्बास ने इस सिलसिले में माननीय राजनाथ सिंह, सांसद लखनऊ और रक्षा मंत्री, श्री नीरज बोरा, विधायक, कमिश्नर लखनऊ, हुसैनाबाद ट्रस्ट के चेयरमैन जिलाधिकारी लखनऊ, मेयर लखनऊ को पत्र भेजकर सुंदरीकरण, सफाई और पार्किंग की सिफारिश की है। इसके अलावा, उन्होंने पुलिस कमिश्नर लखनऊ को भी पत्र भेजकर अराजकतत्वों और अवैध कब्जाधारियों से हुसैनाबाद ट्रस्ट के कर्मचारियों और जायरीनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।

वफा अब्बास ने इस मुद्दे को सुलझाने और सामरा गार वाली करबला को एक पवित्र और सुरक्षित स्थल बनाए रखने के लिए सभी समुदायों से सहयोग की अपील की है। 

"जब इमाम आयेंगे, लखनऊ वाले क्या मुंह दिखायेंगे?"
 इस सवाल का जवाब  भी अब शिया समुदाय को देना होगा।

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