"तुम अकेले नहीं हो या हुसैन" — नौहा नहीं, मजलूमों का साथ देने की हुंकार है! https://youtu.be/DIuGmBxdW0I?si=oCqHXZZg63K4Fh48


✍️ रिपोर्टिंग: सैयद रिज़वान मुस्तफा रिज़वी
📍 लखनऊ / करबला / तेहरान / यमन / ग़ज़ा


"जब भी कोई यज़ीद सर उठाता है, हुसैनी जुलूस उसकी गर्दन झुका देता है।"
और इस बार, हुसैनियत की हुंकार दुनिया भर में गूंजी है — एक आवाज़ में, एक नौहे में, एक सिसकी में, एक इंकलाब में!
"तुम अकेले नहीं हो या हुसैन" — नदीम सरवर के इस नौहे ने वो कर दिखाया जो तलवारें और तख़्त नहीं कर सके।


🕋 मोहर्रम 2025: इमाम की तन्हाई में पूरी दुनिया की पुकार

ईरान पर हुए ज़ायोनी हमलों के बाद जब मासूमों की लाशें उठ रही थीं, जब ग़ज़ा की मिट्टी लाल थी, जब अमेरिका-इज़राइल मिलकर मजलूमों को कुचलने में लगे थे — उसी वक़्त कर्बला की याद ने दुनिया को फिर एकजुट कर दिया।

और फिर आया वो लम्हा — जब सरवर-ए-अज़ादारी, नदीम सरवर ने दिल से जैसे सीधा सवाल किया:

"या हुसैन! क्या आप आज भी अकेले हैं?"
और जवाब आया — नहीं!
"तुम अकेले नहीं हो या हुसैन।"


📡 भारत की हर गली, हर मोबाइल, हर मजलिस में गूंजा ये पैग़ाम

लखनऊ के हुसैनाबाद नगराम से लेकर हैदराबाद ,जौनपुर,मुजफ्फरनगर,दिल्ली,मुरादाबाद,शामली,चेन्नई की गलियों तक, बाराबंकी के इमामबाड़ों से लेकर मुंबई की मजलिसों तक —
हर जगह सिर्फ़ एक ही आवाज़ थी:
"तुम अकेले नहीं हो या हुसैन"

  • बच्चे इसे अपनी मासूमियत से दोहराते हैं
  • नौजवान इसे अपना मिशन मान चुके हैं
  • और बूढ़े इसके हर मिसरे में अपने आंसू बहाते हैं

🎙️ नदीम सरवर: नौहा नहीं पढ़ा, जैसे इंकलाब उतार दिया हो

https://youtu.be/DIuGmBxdW0I?si=oCqHXZZg63K4Fh48

ये नौहा एक मर्सिया नहीं रहा।
ये बन गया है —
⚔️ हुसैनी सिपाहियों का नारा
💔 ग़ज़ा के बच्चों का करार
🕊️ मज़लूमों की राहत
🌍 दुनिया के इंसाफ़पसंद लोगों की आवाज़


🩸 "कर्बला खत्म नहीं हुआ — ज़ुल्म आज भी ज़िंदा है"

हर यज़ीद अपनी शक्ल बदलता है —
कभी नेतन्याहू, कभी ट्रंप कभी खामोश संयुक्त राष्ट्र।
मगर हुसैन अब भी हर दिल में जिंदा है।

"हर बार जब दुनिया चुप होती है, हुसैन फिर बोलते हैं।
और इस बार, नदीम सरवर की ज़ुबां से निकल पड़ा —
'तुम अकेले नहीं हो या हुसैन'"


🕯️ ये नौहा — रूह से निकली सदा

इस नौहे में सिर्फ़ आंसू नहीं हैं,
इसमें वो अलम है जो शहीद अली असगर का भी है,
इसमें वो जज़्बा है जो ज़ैनब की मजलिसों का है,
इसमें वो चीख़ है जो ग़ज़ा के अस्पतालों में सुनाई देती है।


📲 सोशल मीडिया पर इनक़लाबी तूफ़ान

  • YouTube पर पहुंचने वाले है करोड़ से ज़्यादा Views
  • TikTok और Instagram Reels पर 10 लाख से ऊपर इस्तेमाल
  • WhatsApp, Telegram, X (Twitter) पर हर ग्रुप में यही लिंक:
  • “तुम अकेले नहीं हो या हुसैन”

👳‍♂️ ग़ैर-मुस्लिम भी कह उठे: "हुसैन सिर्फ़ इस्लाम के नहीं, इंसानियत के हैं"

इस नौहे ने मज़हबी दीवारें तोड़ीं —

  • हिंदू भाई कह रहे हैं: “हुसैन की कुर्बानी हर ज़मीर वाले के लिए है”
  • ईसाई दोस्त इसे कहते हैं: “ये क्राइस्ट की तरह मजलूम की याद है”
  • बुद्धिस्ट और सिख समाज भी इसे साझा कर रहे हैं

इंकलाब की चिंगारी — नई नस्ल तैयार है

अब मातम करने वाली नस्ल सिर्फ आंसू नहीं बहा रही —
वो सवाल कर रही है:

  • ग़ज़ा क्यों जल रहा है?
  • बच्चों का खून कौन बहा रहा है?
  • हुसैन को रोकर छोड़ दूं या जियूं उनके पैग़ाम पर?

🕊️  इस नौहे ने बना दी एक नई दुनियावी ज़ंजीर

ये नौहा बन गया है:

  • एक अज़ादारी आंदोलन
  • एक डिजिटल क्रांति
  • एक तहज़ीब की पुकार
  • और यज़ीदियत के खिलाफ़ ज़मीर की आख़िरी दीवार
#TumAkeleNahiHoYaHussain  
#NadeemSarwar2025  
#Muharram2025  
#VoiceOfOppressed  
#LabbaikYaHussain  
#KarbalaLivesOn  
#GazaToKarbala  
#StandWithHussain  
#ShiaSunniUnity  
#YaZahraYaSakina


"ऐ हुसैन! तुम तन्हा नहीं हो —
क्योंकि हर मज़लूम का दिल तुम्हारे साथ है,
हर इंकलाबी तुम्हारा ज़िक्र करता है,
हर आज़ाद इंसान तुम्हारे लिए जीता है,
और हर आंसू तुम्हारे क़दमों का सजदा करता है!"

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