मोहम्मद अज़हर: जज़्बे की वो उड़ान जिसने तक़दीर के सितारे बदल दिए
"जब इरादे मजबूत हों और मेहनत इबादत बन जाए, तो मुश्किलात रास्ता नहीं रोकतीं, बल्कि मंज़िल का पत्थर साबित होती हैं।"
मोहम्मद अज़हर की कहानी इसी हकीकत का नायाब उदाहरण है। एक ऐसा नौजवान, जिसकी आँखों में ख्वाब भी थे और दिल में आग भी — जो हालात के थपेड़े सहता रहा, मगर हौसले का चिराग कभी बुझने नहीं दिया।
पाँच साल पहले एक मुलाकात, जिसने रास्ता बदल दिया
करीब पाँच साल पहले, जब तंगी के साए मोहम्मद अज़हर के ख्वाबों पर गहरा अंधेरा डाल रहे थे, तब वह अपनी पढ़ाई की तमन्ना और हुनर का चिराग लेकर रहबर-ए-हिंद मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी साहब के पास पहुँचा।
मौलाना साहब ने जब अज़हर के हुनर को — खासकर कंप्यूटर के क्षेत्र में उसकी फुर्ती और लगन को देखा — तो न सिर्फ़ दाद दी, बल्कि फराखदिली से उसकी पूरी पढ़ाई की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली।
यह महज मदद नहीं थी, बल्कि एक बीज को सींचना था, जो आगे चलकर एक फलदार दरख़्त बनने वाला था।
साथ ही, मौलाना साहब ने उसे "तन्ज़ीम-उल-मकातिब" के ऑफिस में पार्ट-टाइम नौकरी भी दे दी, ताकि वह खुद्दारी के साथ पढ़ाई कर सके और जिंदगी की जद्दोजहद में घुटने न टेके।
मेहनत की दास्तान: दफ्तर की फाइलों से लेकर किताबों के सफों तक
जहां दूसरे बच्चे स्कूल के बाद आराम करते, वहां अज़हर दफ्तर में जिम्मेदारियाँ निभाता। दिन की थकन, तन की कमजोरी और हालात की तल्ख़ियाँ — सब कुछ होते हुए भी,
अज़हर की किताबों से मोहब्बत और तालीम से वफ़ादारी कभी कम नहीं हुई।
सुबह दफ्तर का था, दोपहर के बाद यूनिटी स्कूल और किताबों की।
वक्त ने उसकी परीक्षा ली, लेकिन अज़हर हर इम्तिहान में खरा उतरा।
यूनिटी स्कूल, जिसकी फिज़ा में तालीम की महक और तरबियत की ताजगी घुली है, अज़हर को ऐसी सरज़मीन साबित हुई, जहां उसके सपनों को असलियत के पंख मिले।
कामयाबी का दिन: जब सबने दुआएं दीं
आज वही मोहम्मद अज़हर, तमाम चुनौतियों के बावजूद यूपी बोर्ड हाई स्कूल परीक्षा में शानदार 84% अंकों के साथ सफलता की ऊंचाइयों पर खड़ा है।
यह महज एक नंबर नहीं है, यह उन आँसुओं का ईनाम है जो रातों को किताबों पर गिरते थे, उन दुआओं का असर है जो माँ-बाप और उस्तादों ने उठाई थीं, और उस हिम्मत का नतीजा है जो अज़हर ने कभी खोने नहीं दी।
रहबर-ए-हिंद मौलाना सैयद सफी हैदर जैदी साहब ने मोहम्मद अज़हर को गले लगाते हुए कहा:
"जिस बच्चे की आँखों में मैंने पाँच साल पहले मेहनत और इख़लास की चमक देखी थी, आज वह चमक मुक़द्दर के सूरज में तब्दील हो गई।"
यूनिटी स्कूल के सरपरस्त, मौलाना कल्बे सिबतैन नूरी साहब ने अज़हर की तारीफ करते हुए फरमाया:
"अज़हर हमारे स्कूल का गर्व है। उसकी मेहनत ने यह साबित कर दिया कि जिद्दो-जहद और लगन के सामने कोई भी दीवार टिक नहीं सकती।"
एक पैग़ाम पूरे समाज के लिए
मोहम्मद अज़हर की कामयाबी सिर्फ उसकी अपनी नहीं है;
यह उन तमाम बच्चों और नौजवानों के लिए उम्मीद की एक किरण है, जो तंगी, मजबूरी, और हालात से लड़ रहे हैं।
यह कहानी बताती है कि अगर हिम्मत हो, तो फटी जेबें भी ख्वाबों के जखीरे से भर सकती हैं।
यह साबित करती है कि जब एक रहनुमा उस्ताद सही हाथ पकड़ ले, तो एक गुमनाम बच्चा भी रौशन सितारा बन सकता है।
मोहम्मद अज़हर — एक मिसाल, एक पैग़ाम
आज मोहम्मद अज़हर का नाम सिर्फ यूनिटी स्कूल, तंजीम-उल-मकतिब या उसके घरवालों तक महदूद नहीं है।
वह उन तमाम गली-कूचों के बच्चों का नाम बन चुका है, जो सपने तो देखते हैं मगर हालात से हार जाते हैं।
अज़हर बताता है कि "तक़दीर बदलने के लिए सिर्फ पढ़ाई नहीं, बल्कि सब्र, मेहनत और सही रहनुमाई की ज़रूरत होती है।"
"जहाँ मेहनत दुआ बन जाए और दुआ मेहनत की हमराह हो जाए, वहां कामयाबी अपना रास्ता खुद तलाश लेती है।"
मोहम्मद अज़हर इसी कहानी का ज़िंदा और रौशन चेहरा है।
हसनैन मुस्तफा
हमारी वेबसाइट का उद्देश्य
समाज में सच्चाई और बदलाव लाना है, ताकि हर व्यक्ति अपने हक के साथ खड़ा हो सके। हम आपके सहयोग की अपील करते हैं, ताकि हम नाजायज ताकतों से दूर रहकर सही दिशा में काम कर सकें।
कैसे आप मदद कर सकते हैं:
आप हमारी वेबसाइट पर विज्ञापन देकर हमें और मजबूती दे सकते हैं। आपके समर्थन से हम अपने उद्देश्य को और प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेंगे।
हमारा बैंक अकाउंट नंबर:
- बैंक का नाम: Bank Of India
- खाता संख्या: 681610110012437
- IFSC कोड: BKID0006816
हमारे साथ जुड़कर आप हक की इस राह में हमारा साथी बन सकते हैं। आपके सहयोग से हम एक मजबूत और सच्ची पहल की शुरुआत कर सकेंगे।