मुंतज़मीने मस्जिद (मस्जिद के ख़ादिम का अल्लाह के बंदों के नाम एक पैग़ाम

بسم الله الرحمن الرحيم
अल्लाह के बंदों के नाम एक पैग़ाम

अस्सलामु अलैकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुहू,

अल्लाह का शुक्र है कि उसने हमें माहे रमज़ानुल मुबारक जैसे बरकतों और रहमतों से भरे महीने में अपने मेहमान बनने का शरफ़ अता फरमाया। इस मुकद्दस महीने में आपने ख़ान-ए-ख़ुदा (मस्जिद) में पाबंदी से तशरीफ लाकर इसे आबाद किया और अल्लाह के घर की रौनक़ बढ़ाई।

हम ख़ादिमों ने अपनी तरफ़ से आपकी बेहतर से बेहतर मेज़बानी की पूरी कोशिश की। लेकिन अगर कोई कोताही रह गई हो, तो हम अल्लाह के बंदों से माज़रत ख़्वाह (क्षमा प्रार्थी) हैं।

अब जबकि रमज़ान अपने रुख़्सत के मुकाम पर है और नमाज़-ए-ईद के बाद आप अपने घरों को लौट जाएंगे, तो हमारी दिली दुआ है कि अल्लाह आप सबको सेहत, सलामती और तूल-ए-उम्र अता फरमाए।
आपकी तौफ़ीक़ात में इज़ाफ़ा करे और इस मुकद्दस महीने में की गई इबादत, दुआओं और नेकियों को कुबूल फरमाए।

लेकिन अल्लाह के बंदो!
याद रखिए! यह अल्लाह का घर सिर्फ माहे रमज़ान में ही नहीं, बल्कि सालभर आपके लिए खुला रहता है।
इसलिए जब भी दिल परेशान हो, दुनिया की भीड़-भाड़ से तंग आ जाए, कोई उलझन हो या सिर्फ अल्लाह से राब्ता (संपर्क) करने का दिल करे, तो बिला झिझक तशरीफ लाइए
इस घर में कभी आपको एहसास-ए-ज़िल्लत (अपमान) नहीं होगा, कभी आपको शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
यह आपके मालिक का घर है, जो न सिर्फ आपका ख़ालिक़ (सृष्टा) है, बल्कि आपके आबाए व अजदाद (पूर्वजों) का भी ख़ालिक़ है।
यह आपके रज़िक़ देने वाले का घर है, जिसने हमेशा आपका और आपके पूर्वजों का पेट भरा है।

अल्लाह के बंदों!
कभी भी कोई परेशानी या उलझन हो, तो मस्जिद में आकर दो रकअत नमाज़ पढ़िए
अपने मालिक के आगे गिड़गिड़ाकर दुआ कीजिए
मुमकिन है कि दुनिया की दौलत न मिले, लेकिन अल्लाह का सुकून ज़रूर मिलेगा।

याद रखिए!
जिस रसूल (स.अ.) का कलमा आप पढ़ते हैं, उन्होंने मदीने पहुँचते ही सबसे पहले अल्लाह का घर बनाया था।
जिन मौला अली (अ) का नारा आप लगाते हैं, वो अल्लाह के घर में पैदा हुए और अल्लाह के घर में शहीद हुए
जिन इमाम हुसैन (अ) का ग़म आप मनाते हैं, उन्होंने ख़ान-ए-ख़ुदा की हुरमत के तहफ़्फ़ुज़ (संरक्षण) के लिए शहीद हो गए।

तो क्या हम अल्लाह के घर से दूर रह सकते 
नहीं
इसलिए अल्लाह के बंदों, मस्जिद को सिर्फ रमज़ान का नहीं, अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बनाइए।
याद रखिए! अगर आप ख़ान-ए-ख़ुदा के पड़ोसी हैं और उसका हक़ अदा नहीं करेंगे, तो क़यामत के दिन यही मस्जिद अल्लाह के दरबार में आपकी शिकायत करेगी।
उस दिन कोई बहाना नहीं चलेगा।

हमें उम्मीद है कि आपकी आमद का सिलसिला जारी रहेगा।
ख़ुदा हाफ़िज़
मुंतज़मीने मस्जिद (मस्जिद के ख़ादिम)

हमारी वेबसाइट का उद्देश्य

समाज में सच्चाई और बदलाव लाना है, ताकि हर व्यक्ति अपने हक के साथ खड़ा हो सके। हम आपके सहयोग की अपील करते हैं, ताकि हम नाजायज ताकतों से दूर रहकर सही दिशा में काम कर सकें।

कैसे आप मदद कर सकते हैं:

आप हमारी वेबसाइट पर विज्ञापन देकर हमें और मजबूती दे सकते हैं। आपके समर्थन से हम अपने उद्देश्य को और प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेंगे।

हमारा बैंक अकाउंट नंबर:

  • बैंक का नाम: Bank Of India
  • खाता संख्या: 681610110012437
  • IFSC कोड: BKID0006816

हमारे साथ जुड़कर आप हक की इस राह में हमारा साथी बन सकते हैं। आपके सहयोग से हम एक मजबूत और सच्ची पहल की शुरुआत कर सकेंगे।

Post a Comment

Previous Post Next Post