आँसू: दिल को पिघलाने वाले नहीं, अल्लाह की मोहब्बत जगाने वाले


आँसू... ये महज़ आँखों से बहने वाली कुछ बूँदें नहीं होतीं। ये दिल का वो हाल होता है, जब इंसान अपने ग़म, दर्द और अल्लाह की याद में बेक़रार होकर पिघलने लगता है। लेकिन ये आँसू हर दिल को नहीं पिघलाते। ये सिर्फ़ उन्हीं दिलों को मोम करते हैं, जिनमें अल्लाह की सच्ची मोहब्बत बसती हो।

🌿 अल्लाह की मोहब्बत: दिलों का सुकून

कई बार इंसान दुनिया के ग़मों में रोता है—रोज़गार, रिश्ते, सेहत और ज़िन्दगी की मुश्किलों में बहने वाले आँसू। लेकिन ऐसे आँसू अक्सर राहत नहीं देते, बल्कि बोझ और बढ़ा देते हैं। इसके बरअक्स, जब इंसान अल्लाह की मोहब्बत में आँसू बहाता है, तब वो आँसू दिल को नर्म कर देते हैं। दिल के ज़ख्मों पर मलहम का काम करते हैं।

कुरआन-ए-मजीद में अल्लाह तआला फरमाता है:
“जो लोग ईमान लाए, उनके दिल अल्लाह की याद से सुकून पाते हैं। सुन लो! अल्लाह की याद ही में दिलों का सुकून है।”
📖 (सूरह रअद, आयत 28)

💫 दुनिया की मोहब्बत से दिल ख़ाली करना ज़रूरी

अल्लाह की मोहब्बत को पाने के लिए दिल को दुनिया की फ़ानी मोहब्बतों से ख़ाली करना ज़रूरी है। वो मोहब्बतें जो इंसान को गुनाह, नाफरमानी और ग़फ़लत की तरफ ले जाती हैं, उन्हें दिल से निकालना होगा। जब तक दिल में दुनिया की हसरतें, लालच, हसद और नफ़रत बसी रहेगी, तब तक अल्लाह की मोहब्बत उसमें दाख़िल नहीं होगी।

हदीस-ए-पाक में है:
“अल्लाह तआला अपने बंदे के दिल में दुनिया और अपनी मोहब्बत को एक साथ जमा नहीं करता।”
📚 (मिश्कात शरीफ)

🌷 अल्लाह के ख़ौफ में गिरने वाले आँसू का सवाब

अल्लाह की मोहब्बत में बहने वाले आँसू, अल्लाह की रहमत को खींच लाते हैं। क़यामत के दिन जब हर कोई अपने आमाल का हिसाब देने में परेशान होगा, उस दिन अल्लाह उन आँखों को जहन्नुम की आग से बचा लेगा, जिन्होंने अल्लाह के खौफ में आँसू बहाए।

रसूलुल्लाह (स.अ.व.) ने फ़रमाया:
“क़यामत के दिन वह आँखें जहन्नुम की आग को नहीं देखेंगी, जो अल्लाह के खौफ में रोई हों।”
📚 (तिरमिज़ी शरीफ)

🤲 अल्लाह की मोहब्बत पाने का तरीक़ा

अगर हम चाहते हैं कि अल्लाह की मोहब्बत हमारे दिलों में घर कर ले, तो हमें:

  • तौबा और इस्तेग़फार को अपनी आदत बनानी चाहिए।
  • अल्लाह की इबादत में ख़ुशू-ओ-ख़ुज़ू (गहराई और सच्चाई) पैदा करनी चाहिए।
  • दुनिया की मोहब्बत, लालच और फ़ानी हसरतों को छोड़ना होगा।
  • कुरआन और अहलेबैत (अ) की तालीमात** को अपनाकर जिंदगी में अल्लाह की रज़ामंदी हासिल करनी होगी।


आँसू सिर्फ़ पानी की बूँदें नहीं, बल्कि दिल का हाल होते हैं। हर आँसू दिल को नहीं पिघलाता, मगर जब इंसान अल्लाह की मोहब्बत में सच्चे दिल से रोता है, तो ये आँसू दिल को मोम कर देते हैं। ये आँसू अल्लाह की रहमत को अपनी तरफ़ खींच लाते हैं और उस बंदे को अल्लाह के क़रीब कर देते हैं।

दुआ है कि अल्लाह हम सबको अपने ख़ौफ में रोने वाला और अपनी मोहब्बत में पिघलने वाला दिल नसीब फरमाए। 🤲

सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 

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