लखनऊ, 15 मार्च | रमज़ान का मुक़द्दस महीना बरकतों और रहमतों का संगम होता है, जिसमें कुरआन-ए-पाक की तिलावत से माहौल नूरानी हो जाता है। इस पाक महीने की 15वीं रात, जो हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की विलादत की रात भी है, इस मौके पर विलायत एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की जानिब से जामा मस्जिद तहसीनगंज, लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय बज़्म-ए-क़ुरआन का चौथा अज़ीमुश्शान आयोजन किया गया।
इस मुक़द्दस बज़्म में हिंदुस्तान और आलमी सतह के नामवर क़ारी हज़रात ने अपनी दिलकश आवाज़ों में कुरआन-ए-पाक की तिलावत कर मौजूद अफ़राद के दिलों को सुकून से भर दिया। पूरी मस्जिद नूर-ए-कुरआन से जगमगा उठी, ऐसा मालूम हो रहा था कि रहमतों का नुज़ूल हो रहा हो।
रुहानी और कुरआनी समां
रात 9 बजे से शुरू हुई इस नूरानी महफ़िल में आलमी सतह के मशहूर क़ारी हज़रात ने अपने बेहतरीन अंदाज़ में कुरआन-ए-पाक की तिलावत फरमाई। इनमें ईरान से तशरीफ़ लाए क़ारी डॉ. रिज़वान राहिली, कारगिल से मौलाना ताहा शायरी, क़ारी मौलाना अली अब्बास खान, क़ारी बदरुद्दुजा (उस्ताद, फ़ुरक़ानिया मदरसा), रामपुर से तशरीफ़ लाए क़ारी आज़म खान साहब और क़ारी मोहम्मद अब्बास रिज़वी शामिल थे।
उनकी रुहानी आवाज़ों में कुरआन-ए-पाक की तिलावत सुनकर मौजूद लोगों की आँखें नम हो गईं, दिलों में सुकून और इश्क-ए-कुरआन की लौ जल उठी।
महफ़िल की ख़ास झलकियाँ
- हाफ़िज़ा सिद्दीक़ा बतूल, जो गंगेरू, मुज़फ़्फरनगर से तशरीफ़ लायी थीं, ने नन्हे हाफ़िज़ बच्चों के साथ मिलकर कुरआन हिफ़्ज़ का बेहतरीन मुज़ाहेरा पेश किया। जब मासूम बच्चों ने अपने दिलकश लहजे में कुरआन के हरफ़ हरफ़ को तिलावत किया, तो हाज़रीन मंत्रमुग्ध हो गए।
- मौलाना साबिर अली इमरानी साहब ने इमाम हसन (अ.स) की शान में अशआर पेश किए। उनकी पुरअसर आवाज़ और दिल को छू लेने वाले कलाम से महफ़िल में रुहानी रंग भर गया।
- कार्यक्रम के इख़्तिताम पर 3 मर्द और 3 ख़वातीन को क़ुर्रे (लकी ड्रॉ) के ज़रिए इनआमात से नवाज़ा गया।
कार्यक्रम की निज़ामत और अहम मेहमान
इस नूरानी और मुक़द्दस बज़्म की निज़ामत मौलाना सक़लैन बाक़री साहब ने अंजाम दी। प्रोग्राम का कुरआन टीवी के ज़रिए लाइव प्रसारण भी किया गया, जिससे दुनिया भर में इसे देखा और सुना गया।
इस इजलास में कई मशहूर शख़्सियात ने शिरकत की, जिनमें ख़ास तौर पर मौलाना मंजर सादिक, मौलाना हसनैन बाक़री, मौलाना मुशाहिद आलम, मौलाना सईदुल हसन, मौलाना मोहम्मद मियां आबिदी, मौलाना हैदर अब्बास व दीगर उलमा-ए-किराम शामिल थे।
इस्लामी इदारों का तआवुन
यह रुहानी महफ़िल विलायत एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के ज़ेरे एहतेमाम मुनक़िद हुई, जिसमें कई दीनी और समाजी इदारों का तआवुन रहा, जिनमें शामिल हैं:
- मजलिस-ए-उलमा-ए-हिन्द
- ऐनुल हयात ट्रस्ट
- शिया उलेमा असेंबली
- हैदरी एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी
- रियाज़ुल कुरआन
- मदरसा तजवीद-ओ-क़िराअत
- तंज़ील अकादमी
- हुदा मिशन
- इदारा इस्लाह
- मरकज़-ओ-तालिम-ओ-तरबियत
- मेहदीयन्स
- मदरसा जामातुज़ ज़हरा
इन तमाम इदारों ने इस नूरानी महफ़िल को मुकम्मल बनाने में अपना अहम किरदार अदा किया।
हाज़रीन की राय
इस मुक़द्दस महफ़िल के बाद मौजूद लोगों ने इसे रमज़ान की सबसे यादगार रात करार दिया और इस तरह की महफ़िलों को ज़्यादा से ज़्यादा जगहों पर मुनक़िद कराने की अहमियत पर ज़ोर दिया।
**रमज़ान की इन नसीबवाली रातों में कुरआन की तिलावत सुनना, उसे समझना और उस पर अमल करना ही असल मक़सद है। हाज़रीन ने दुआ की कि इस तरह के मुक़द्दस जलसे हर साल मुनक़िद होते रहें और पूरी दुनिया कुरआन-ए-पाक की बरकतों से मुनव्वर होती रहे
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