"दुआओं में याद रखना..." – एक दिल छू लेने वाली हकीकत


निदा टीवी डेस्क - सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा 

हर रोज़, न जाने कितने लोग एक-दूसरे से यह कहते हैं – "मुझे दुआओं में याद रखना।"
कभी किसी दोस्त से, कभी अपने किसी बुज़ुर्ग से, कभी किसी मासूम बच्चे से, तो कभी किसी अजनबी से भी। लेकिन क्या वाकई हम दूसरों की दुआओं में याद रहते हैं? और सबसे अहम सवाल – क्या हर कोई इन दुआओं में जगह बना सकता है?

दुआ क्या है?

दुआ सिर्फ़ कुछ अल्फ़ाज़ नहीं हैं, बल्कि यह एक एहसास है, जो दिल से निकलता है और सीधे ऊपर वाले तक पहुँचता है। जब कोई इंसान किसी और के लिए सच्चे दिल से भलाई माँगता है, तो वह दुआ बन जाती है। यह वह अल्फ़ाज़ हैं जो हम अपने रब से किसी के लिए गहरे ख़ुलूस (सच्चाई) के साथ माँगते हैं।

कई बार हम मीलों दूर बैठे होते हैं, लेकिन हमारी एक दुआ किसी की ज़िंदगी को संवार देती है। कई बार हमारे अपने आँसू दूसरों की मुस्कराहट बन जाते हैं। हमारी सच्ची चाहत किसी के लिए राहत का सामान बन जाती है।

क्या हर कोई दुआ में याद रहता है?

शायद नहीं।
हर इंसान इस ख़ास मक़ाम को हासिल नहीं कर सकता। दुआओं में जगह पाने के लिए सिर्फ़ बोल देना काफ़ी नहीं होता, बल्कि उसके पीछे सच्ची मोहब्बत, बेमिसाल नेकी और बिना किसी लालच के किया गया भलाई का कोई छोटा-सा अमल (कर्म) होता है।

कई लोग पूरी ज़िंदगी किसी के एहसानमंद नहीं बन पाते, लेकिन कोई एक छोटा-सा नेक इंसान, अपनी सादगी, अपनी दरियादिली और अपनी बे-लौस मोहब्बत से हज़ारों दिलों में अपनी जगह बना लेता है।

बिना माँगे मिलने वाली दुआएँ

अक्सर हम सोचते हैं कि हमें लोग अपनी दुआओं में याद रखें, लेकिन क्या हमने कभी ऐसा कुछ किया है जिससे लोग हमारे लिए ख़ुद-ब-ख़ुद दुआ करें?

  • जब हम किसी भूखे को खाना खिलाते हैं, तो उसके दिल से जो दुआ निकलती है, वह सीधे ऊपर वाले तक पहुँचती है।
  • जब हम किसी बेसहारा की मदद करते हैं, तो वह हमें याद नहीं भी रखे, लेकिन उसकी मासूम दुआएँ हमारी ज़िंदगी को संवार देती हैं।
  • जब हम किसी उदास चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश करते हैं, तो उसका शुक्रिया चाहे शब्दों में न हो, लेकिन उसकी आत्मा हमें दुआ देती है।

दुआ का रिश्ता सिर्फ़ अल्फ़ाज़ से नहीं होता, यह एक जज़्बे से जुड़ा होता है। जब कोई इंसान बिना किसी स्वार्थ के किसी की भलाई करता है, तो वह अनगिनत दुआओं का हक़दार बन जाता है।

हमारी दुनिया और हमारी ख़ुदगर्ज़ी

आज के दौर में इंसानियत का यह रिश्ता कमज़ोर पड़ता जा रहा है।
हम मदद भी करते हैं, तो बदले में तारीफ़ चाहते हैं। हम किसी के लिए अच्छा भी करते हैं, तो उसका ज़िक्र ज़रूर करते हैं। हम हर चीज़ का बदला चाहते हैं – चाहे वह इज़्ज़त हो, मोहब्बत हो या फिर दुआएँ।

हमारी ज़िंदगी में बिना स्वार्थ के की गई मोहब्बत और दुआओं का अकाल पड़ता जा रहा है। हम अपनी हर कोशिश का इनाम चाहते हैं। हम देने से पहले लेने की उम्मीद करते हैं।

लेकिन सच्ची दुआ तब मिलती है जब हम किसी की भलाई इस तरह करें कि उसे पता भी न चले। जब हम किसी के लिए बिन बोले कुछ कर जाएँ, जब हम बिना किसी सिले की चाह के किसी की मदद करें।

कैसे बनें दुआओं का हिस्सा?

अगर हम सच में चाहते हैं कि लोग हमें अपनी दुआओं में याद रखें, तो हमें अपनी ज़िंदगी में कुछ बदलाव लाने होंगे:

  1. बिना मतलब के किसी के लिए अच्छा करें – हर बार अपने फ़ायदे के बारे में सोचना बंद करें और दूसरों की मदद बे-लौस होकर करें।
  2. छोटी-छोटी चीज़ों से दूसरों की ख़ुशी का कारण बनें – किसी का दिन अच्छा बनाने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप बहुत बड़ी चीज़ दें, कभी-कभी सिर्फ़ एक मीठी मुस्कान, एक अच्छा शब्द, या दिलासा देने वाले कुछ अल्फ़ाज़ भी काफ़ी होते हैं।
  3. माफ़ करना सीखें – हमारे दिल में जितना गुबार होगा, उतनी ही हमारी दुआएँ कमज़ोर पड़ेंगी। दूसरों की ग़लतियों को माफ़ करना सीखें ताकि आपके दिल में सुकून हो और आपके हक़ में उठने वाली दुआएँ भी असरदार हों।
  4. शुक्रगुज़ार बनें – जो हमारे लिए कुछ भी अच्छा करे, उसका शुक्र अदा करना सीखें। जब हम दूसरों की नेमतों को पहचानते हैं, तो हम और ज़्यादा दुआओं के हक़दार बनते हैं।
  5. छोटे-छोटे नेक काम करें – किसी भूखे को खाना खिलाना, किसी रोते हुए को हौसला देना, किसी बेसहारा का सहारा बनना, यह छोटे-छोटे नेक अमल (कर्म) हमें बिन माँगे दुआओं का हिस्सा बना सकते हैं।

अंजाम-ए-कलाम 

ज़िंदगी बहुत छोटी है। इस छोटी-सी ज़िंदगी में अगर कुछ रह जाता है, तो वह सिर्फ़ हमारी अच्छाइयाँ और वो दुआएँ होती हैं जो लोग हमें दिल से देते हैं।

इसलिए, अगर आप सच में चाहते हैं कि लोग आपको अपनी दुआओं में याद रखें, तो बिना किसी इनाम या बदले की उम्मीद के कुछ ऐसा कर जाइए कि लोग आपको भले ही भूल जाएँ, मगर उनकी दुआएँ आपको कभी न भूलें।

याद रखिए, दुआएँ सबसे बड़ी दौलत हैं।
जब ज़िंदगी के हर दरवाज़े बंद हो जाते हैं, तो यही दुआएँ आपके लिए नई राह खोल देती हैं। इसलिए, बिना चाहे किसी के लिए दुआ बनिए, फिर देखिए कैसे आपकी अपनी ज़िंदगी सुकून से भर जाती है।

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