TMT का सपना टूटा: लाखों छात्रों ने शिक्षा तो पाई, लेकिन कर्ज़ चुकाने की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा

विश्वासघात: TMT स्कॉलरशिप लेने वाले छात्रों के लिए एक चेतावनी

निदा टीवी डेस्क /तकी हसनैन मुस्तफा

आज के दौर में शिक्षा को न केवल सशक्तिकरण का साधन माना जाता है, बल्कि इसे समाज के उत्थान और जिम्मेदारी का भी प्रतीक समझा जाता है। तौहीदुल मुस्लेमीन ट्रस्ट (TMT) ने इसी उद्देश्य से शिया समुदाय के छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की। हकीम-ए-उम्मत डॉ. कल्बे सादिक साहब द्वारा स्थापित इस ट्रस्ट ने हजारों छात्रों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य का रास्ता तैयार किया। लेकिन एक दुखद सच्चाई यह है कि अधिकांश छात्रों ने इस सहायता को एक कर्ज़ समझने के बजाय एक उपहार मान लिया और इसे लौटाने में विफल रहे।

TMT: शिक्षा और उम्मीद का केंद्र

TMT का मकसद केवल आर्थिक सहायता देना नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य उन छात्रों को आगे बढ़ाना था जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी शिक्षा जारी नहीं रख सकते थे। ट्रस्ट ने हजारों छात्रों को दुनिया भर में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और नौकरियों तक पहुंचने में मदद की। आज ये छात्र लाखों की सैलरी कमा रहे हैं और समाज में अपनी जगह बना चुके हैं।

लेकिन दुख की बात यह है कि जिन छात्रों ने इस ट्रस्ट से लाभ उठाया, उनमें से 90% ने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। उन्होंने वह धन वापस नहीं किया जो उनकी शिक्षा पर खर्च किया गया था। यह केवल वित्तीय नुकसान नहीं है, बल्कि ट्रस्ट के प्रति एक नैतिक विश्वासघात है।

क्या हम नैतिकता और जिम्मेदारी से दूर हो गए हैं?

इस घटना ने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है—क्या हम आज भी अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हैं?
TMT ने छात्रों में निवेश किया ताकि वे न केवल अपनी जिंदगी सुधारें, बल्कि क़ौम की तरक्की में भी योगदान दें। लेकिन अधिकतर छात्रों ने इस विश्वास को तोड़ दिया। यह खयानत सिर्फ ट्रस्ट के प्रति नहीं, बल्कि क़ौम और अल्लाह के प्रति भी है।

कुरान और अहलेबैत की शिक्षाएं

कुरान का संदेश:

1. सूरह अन-निसा (4:58):
"अल्लाह तुम्हें आदेश देता है कि अमानतें उनके हक़दारों को सौंप दो।"
2. सूरह अल-अन्फाल (8:27):
"अल्लाह और उसके रसूल के साथ खयानत न करो और न अपनी अमानतों में।"

अहलेबैत (अ) के फरमान:

1. इमाम अली (अ):
"अमानत को लौटाना इंसान के ईमान की पहचान है।"

2. इमाम हुसैन (अ):
"जरूरतमंदों का हक छीनने वाला इंसान अल्लाह की अदालत में सबसे पहले खड़ा किया जाएगा।"

TMT से सहायता लेना एक अमानत थी, और इसका सही उपयोग तथा इसे वापस करना छात्रों का धार्मिक और नैतिक फर्ज़ था।

भविष्य की पीढ़ियों पर असर

जो धन इन छात्रों ने लौटाना था, उसका उपयोग अगली पीढ़ियों के लिए किया जा सकता था। यह ट्रस्ट की क्षमता को सीमित करता है और गरीब छात्रों को आगे बढ़ाने में बाधा डालता है। यह केवल एक आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि क़ौम की पूरी तरक्की के लिए रुकावट है।

अब समय है जिम्मेदारी निभाने का

आज जब ये छात्र अपनी जिंदगी में सफल हो चुके हैं, तो उन्हें अपने अतीत की तरफ लौटकर देखना चाहिए। TMT का योगदान उनकी सफलता का आधार है।

यह समय है कि वे ट्रस्ट का कर्ज़ चुकाकर एक मिसाल पेश करें।

ऐसा करके वे न केवल ट्रस्ट के प्रति बल्कि अपने समाज और अल्लाह के प्रति भी अपने फर्ज़ को निभा सकते हैं।

अल्लाह की अदालत में जवाबदेही

जो लोग अमानत में खयानत करते हैं, उनके लिए कुरान और अहलेबैत में सख्त चेतावनी है।

सूरह अज़-ज़लज़ला (99:6-8):
"जो भी ज़र्रा बराबर नेकी करेगा, वह उसे देख लेगा, और जो भी ज़र्रा बराबर बुराई करेगा, वह उसे देख लेगा।"

शिक्षा का असली मूल्य केवल ज्ञान में नहीं, बल्कि उस दौरान बनने वाले चरित्र में है।
TMT के उन छात्रों को चाहिए कि वे इस नेक पहल का सम्मान करें और अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएं।
तभी हम सच्चे मायनों में डॉ. कल्बे सादिक साहब की विरासत और TMT के उद्देश्य को आगे बढ़ा सकते हैं।

अब समय आ गया है कि हम अपनी जिम्मेदारी को पहचानें और समाज में नैतिकता और ईमानदारी का नया अध्याय शुरू करें।


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