हश्द अल-शाबी (Hashd al-Shaabi), जिसे पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स (PMF) के नाम से भी जाना जाता है, इराक की एक महत्वपूर्ण सैन्य इकाई है, जिसकी स्थापना 2014 में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के हमलों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए की गई थी। यह संगठन न केवल इराकी संप्रभुता की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, बल्कि इसके गठन और संचालन ने इसे वैश्विक राजनीति में चर्चा का विषय बना दिया है।
इतिहास और गठन:
हश्द अल-शाबी का गठन आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी के ऐतिहासिक फतवे के तहत हुआ, जिसमें उन्होंने इराकी नागरिकों से आईएसआईएस के खिलाफ "जिहाद" के लिए आगे आने का आह्वान किया। 2014 में, जब ISIS ने इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था, इस संगठन ने विभिन्न शिया, सुन्नी, और कुर्द मिलिशिया समूहों को एकजुट किया।
2016 में, इराकी संसद ने एक कानून पारित कर हश्द अल-शाबी को आधिकारिक सुरक्षा बल के रूप में मान्यता दी। इसके बाद यह इराकी सशस्त्र बलों के साथ समन्वय में काम करने लगा, लेकिन इसकी अपनी स्वतंत्र संरचना और नेतृत्व भी है।
मुख्य नेतृत्व:
हश्द अल-शाबी का केंद्रीय नेतृत्व फलाह अल-फयाद (Falah al-Fayyad) संभालते हैं, जो इराकी प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा, संगठन में कई प्रमुख नेता और कमांडर भी शामिल हैं, जैसे:
अबू महदी अल-मुहांदीस (Abu Mahdi al-Muhandis): वे संगठन के एक प्रमुख नेता थे और 2020 में अमेरिकी हवाई हमले में मारे गए।
हादी अल-अम्मरी (Hadi al-Amiri): बद्र संगठन के प्रमुख और हश्द अल-शाबी के महत्वपूर्ण नेता हैं।
भूमिका और प्रभाव:
हश्द अल-शाबी ने इराक को ISIS के आतंक से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई है। इसके सदस्य न केवल आतंकवाद विरोधी अभियानों में अग्रणी रहे हैं, बल्कि इराकी समाज की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी योगदान दे रहे हैं। संगठन ने इराक में सैन्य, सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव स्थापित किया है।
विवाद और पश्चिमी दबाव:
पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका, ने संगठन के कुछ गुटों को ईरान समर्थित बताते हुए इसे भंग करने का दबाव बनाया है। हालांकि, ग्रांड सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी आयतुल्लाह सैयद अली सिस्तानी ने इस दबाव को सख्ती से खारिज कर दिया। उनका मानना है कि हश्द अल-शाबी इराक की सुरक्षा का एक अभिन्न हिस्सा है और इसे समाप्त करना देश की स्थिरता के लिए हानिकारक हो सकता है।
हश्द अल-शाबी केवल एक सैन्य इकाई नहीं, बल्कि इराकी जनता के आत्मबल और स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया है। यह संगठन न केवल सुरक्षा के मोर्चे पर बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी इराक के भविष्य को आकार दे रहा है। पश्चिमी दबाव और विवादों के बावजूद, हश्द अल-शाबी इराक की संप्रभुता और स्थिरता के लिए एक प्रमुख स्तंभ बना हुआ है।
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