वक्फ संपत्तियों पर सबसे बड़ा हमला: अल्पसंख्यक विभाग में बहुसंख्यक अधिकारियों का दबदबा, भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी व्यवस्था, तुरंत हटाए जाएं गैर बहुसंख्यक वर्ग के अधिकारी,कैबिनेट मंत्री, प्रमुख सचिव और वक्फ ट्रिब्यूनल के कर्मचारी,सदस्य और अधिकारी, मुस्लिम नेतृत्व से ही बचेगी वक्फ की अमलाक़

निदा टीवी डेस्क

लखनऊ: सेव वक्फ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना सैयद इफ़्तिख़ार हुसैन इंकलाबी ने योगी सरकार से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था में बड़े सुधार की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों की लूट और अवैध कब्जों को रोकने के लिए अल्पसंख्यक विभाग में कैबिनेट मंत्री और प्रमुख सचिव और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति मुस्लिम समुदाय से की जानी चाहिए। मौलाना ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय की समस्याओं और वक्फ संपत्तियों की जटिलताओं को वही बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

वक्फ इंस्पेक्टरों की नाकामी और उनकी भूमिका पर सवाल

प्रदेश के 75 जिलों में वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए तैनात सिर्फ 28 वक्फ इंस्पेक्टर जिन्हें न उर्दू फारसी आती है और न कानून के ज्ञाता है अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। मौलाना इंकलाबी ने कहा, "वक्फ इंस्पेक्टर न केवल वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा में असफल रहे हैं, बल्कि उनके ऊपर वक्फ खोरों का साथ देने और भू-माफियाओं के साथ सांठगांठ करने के गंभीर आरोप हैं। ये इंस्पेक्टर अवैध कब्जों को रोकने के बजाय कब्जाधारियों का समर्थन कर रहे हैं।"

फर्जी रजिस्ट्री और कब्जाधारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

मौलाना इंकलाबी ने मांग की कि वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा करने वालों, फर्जी रजिस्ट्री कराने वालों और बिजली-पानी कनेक्शन देने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा, "इन सभी दोषियों को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ स्पष्टीकरण की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए। वक्फ संपत्तियों की लूट को रोकने के लिए यह कदम अनिवार्य है।"

अल्पसंख्यक विभाग में मुस्लिम प्रतिनिधित्व जरूरी

मौलाना इंकलाबी ने जोर देकर कहा कि अल्पसंख्यक विभाग में कैबिनेट मंत्री और प्रमुख सचिव और अधिकारियों की नियुक्ति के साथ वक्फ ट्रिब्यूनल  का अध्यक्ष सदस्य और स्टाफ मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए और उर्दू फारसी का जानकार होना चाहिए। उनका कहना है कि, "अल्पसंख्यक समुदाय की समस्याओं और वक्फ संपत्तियों के मुद्दों को एक जानकार मुस्लिम ही बेहतर ढंग से समझ सकता है।" उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए अनुभवी और योग्य मुस्लिम अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए।

शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में संतुलित नेतृत्व की मांग

मौलाना इंकलाबी ने वक्फ बोर्ड के भीतर संतुलित नेतृत्व की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड में शिया सीईओ और सुन्नी वक्फ बोर्ड में सुन्नी सीईओ की नियुक्ति होनी चाहिए। इसके साथ ही 1985 के गजट में शिया वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को सुन्नी वक्फ बोर्ड में शामिल करने की खुराफात को दुरुस्त कर उन संपत्तियों को वापस शिया वक्फ बोर्ड को सौंपा जाए।

भ्रष्टाचार खत्म करने और बकाया तनख्वाह के भुगतान की मांग

मौलाना इंकलाबी ने कहा कि वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों की बकाया तनख्वाह तुरंत दी जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की लापरवाही और वक्फ बोर्ड के भीतर बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण कर्मचारी वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "भ्रष्टाचार मिटाए बिना वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और सही प्रबंधन संभव नहीं है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।"

योग्य मुस्लिम उम्मीदवारों की नियुक्ति पर जोर

उन्होंने सुझाव दिया कि वक्फ इंस्पेक्टरों की नियुक्ति में मुस्लिम समाज के उर्दू और फारसी जानने वाले, साथ ही कानून की डिग्री रखने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाए। उनका कहना है कि वर्तमान में बहुसंख्यक समुदाय के अधिकारियों को इन पदों पर तैनात करना अल्पसंख्यकों की समस्याओं को अनदेखा करने के समान है।45 वक्फ इंस्पेक्टर और वक्फ बोर्ड में खाली पड़े पदों की नियुक्ति करें सरकार,

सरकार की लापरवाही और बढ़ता भ्रष्टाचार

मौलाना इंकलाबी ने सरकार की लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "सरकार की उदासीनता और भ्रष्टाचार के कारण वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों और लूट का सिलसिला तेज हो गया है। अगर सरकार ने समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए, तो यह हमारी धार्मिक और सामाजिक विरासत को पूरी तरह खत्म कर देगा।

मौलाना इंकलाबी ने सरकार और समाज से अपील की कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा और प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि अगर आज हम चुप रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा केवल एक कानूनी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बचाने की लड़ाई है।

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