27 रजब की रात आज, जिसे शबे मेराज और बेसत की रात के नाम से जाना जाता है, इस्लामिक कैलेंडर की एक अहम और मुकद्दस रात मानी जाती है। यह वही रात है जब हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अल्लाह ने मेराज पर बुलाया गया। इस रात को अल्लाह की रहमत, माफी और बरकत का विशेष तोहफा माना जाता है और यह रात इबादत, तौबा, और अल्लाह से निकटता प्राप्त करने का अद्वितीय अवसर है।
इस मुबारक रात को लेकर भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथारिटी, आफताबे शरीयत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब ने मुसलमानों से अपील की है कि वे शबे मेराज की रात को इबादत, दुआ और तौबा में गुजारें। इसके साथ ही, उन्होंने 27 रजब को रोजा रखकर देश में एकता, भाईचारे और तरक्की के साथ ही, सेव वक्फ इंडिया मिशन के लिए भी विशेष दुआ करने का आह्वान किया गया है, ताकि वक्फ की प्रॉपर्टी की हिफाज़त हो सके और यह इंसानियत के काम आ सके।
1. आज शबे मेराज की अहमियत और इबादत
शबे मेराज वह रात है जब हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अल्लाह की तरफ से एक अद्वितीय अनुभव हुआ। इसे अल्लाह की रहमत और माफी का खास अवसर माना जाता है, और इस रात की इबादत से हर मुसलमान अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकता है। इस रात को गुनाहों की माफी, तौबा और अल्लाह के साथ निकटता प्राप्त करने के रूप में देखा जाता है।
2. 27 रजब की रात के खास आमाल
इस रात को विशेष इबादत, दुआ और तौबा के साथ गुजारना चाहिए। मफातीहुल जेनान में बताए गए आमाल निम्नलिखित हैं:
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गुस्ल करें (स्नान करें): यह खुद को शारीरिक और आत्मिक रूप से पवित्र करने का पहला कदम है।
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सदका दें: गरीबों और जरूरतमंदों को सदका देना इस रात के आमाल का हिस्सा है।
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12 रकात नमाज़ अदा करें: 2 रकात के 6 सेट में नमाज़ पढ़ें। हर रकात में सूरह अल-फातिहा और सूरह मुहम्मद से सूरह अन-नास तक में से कोई भी एक सूरह पढ़ें।
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नमाज़ के बाद निम्नलिखित को 7-7 बार पढ़ें:
- सूरह अल-फातिहा
- सूरह अल-इखलास
- सूरह अल-फलक़
- सूरह अन-नास
- सूरह अल-काफिरून
- सूरह अल-क़द्र
- आयतुल कुर्सी
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खास दुआ पढ़ें:
दुआ: "الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي لَمْ يَتَّخِذُ وَلَدًا وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ شَرِيْكٌ فِي الْمُلْكِ وَ لَمْ يَكُنْ لَهُ وَلِيٌّ مِنَ الذُّلِّ وَ كَبِّرْهُ تَكْبِيرًا اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِمَعَاقِدِ عِنْكَ عَلَى أَرْكَانِ عَرْشِكَ وَ مُنْتَهَى الرَّحْمَةِ مِنْ كِتَابِكَ وَ بِاسْمِكَ الْأَعْظَمِ ..."
मस्जिदों और घरों में इबादत करने की दिशा में प्रोत्साहन दिया गया है। उनके अनुसार, इस रात में सच्चे दिल से तौबा करने, गुनाहों से माफी मांगने और अल्लाह से निकटता पाने का एक बेहतरीन अवसर है।
3. 27 रजब को रोजा रखने का महत्व
27 रजब को रोजा रखने का विशेष इबादत है। रोजा न केवल एक धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह हमारे आत्मिक सुधार और मानसिक शुद्धता के लिए भी फायदेमंद होता है।
4. देश में एकता, भाईचारे और तरक्की की दुआ
इस विशेष अवसर पर भारत की एकता, भाईचारे और तरक्की के लिए दुआ करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस रात में हम सब मिलकर अल्लाह से दुआ करें कि वह हमारे देश को शांति, समृद्धि, और भाईचारे का प्रतीक बनाए रखे। यह रात हमारे लिए एक संदेश है कि हम सभी एकजुट होकर अपने देश की तरक्की में योगदान दें और आपसी प्रेम और सम्मान के साथ रहें।
5. सेव वक्फ इंडिया मिशन के लिए दुआ
वक्फ की प्रॉपर्टी, जो अल्लाह के नाम में हैं, समाज के लाभ के लिए होती हैं। मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब ने इस रात को वक्फ की प्रॉपर्टी की हिफाज़त और संरक्षण के लिए दुआ करने की अपील की है। सेव वक्फ इंडिया मिशन के तहत वक्फ की संपत्तियों को बचाना और उनका सही इस्तेमाल करना, ताकि यह इंसानियत के काम आ सके, यह हमारी जिम्मेदारी बनती है। मौलाना साहब ने कहा कि इस रात को हमें वक्फ की प्रॉपर्टी को बचाने और समाज की भलाई के लिए दुआ करनी चाहिए।
6. शबे मेराज की इबादत से अल्लाह से निकटता
इस रात की इबादत का उद्देश्य अल्लाह से अपनी निकटता (कुर्बत) हासिल करना है। यह वह रात है जब हम अल्लाह से अपनी गलतियों की माफी मांग सकते हैं, अपने गुनाहों से तौबा कर सकते हैं, और उसकी रहमत की दुआ कर सकते हैं। मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब ने मुसलमानों से यह भी अपील की है कि इस रात को पूरी तन्मयता और समर्पण के साथ इबादत करें, ताकि हम अल्लाह के करीब जा सकें।
7. खास दुआ
शबे मेराज के दौरान यह खास दुआ पढ़ने की अपील की है:
"اللَّهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ بِحَقِّ مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ أَنْ تُصَلِّيَ عَلَى مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَأَنْ تَغْفِرَ لِي ذُنُوبِي وَأَنْ تُقَرِّبَنِي إِلَيْكَ"
(ऐ अल्लाह! मैं तुझसे मोहम्मद और उनके अहलेबैत के वसीले से मांगता हूं कि तू मोहम्मद और उनके अहलेबैत पर रहमत नाजिल कर और मेरे गुनाहों को माफ कर दे और मुझे अपने करीब कर।
27 रजब की रात न केवल हमारी आत्मिक शुद्धता का अवसर है, बल्कि यह हमें अपने देश की भलाई और समाज के लाभ के लिए दुआ करने का एक सुनहरा मौका प्रदान करती है।
इस रात को अल्लाह से अपनी तौबा, माफी, और कुर्बत की दुआ करनी चाहिए। इस रात बे औलाद वाले लोग भी दुआ करें और और औलाद पाए, बीमारियों से निजात, रोज़ी में बरकत, हर बला आफत से बचने, साथ ही वक्फ की संपत्तियों की हिफाज़त और भारत की तरक्की के लिए हम सब मिलकर दुआ करें, ताकि हमारा देश एकता, भाईचारे, और समृद्धि की मिसाल बने।
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